झारखंड में हेमंत सोरेन की सरकार है और उनके समर्थक यह कहते नहीं थकते कि हिम्मत वाली सरकार है। बीते वर्ष 2021 को हेमंत सरकार ने नियुक्तियों का वर्ष माना था, लेकिन इसकी जगह कई लोगों को बेरोजगारी का सामना करना पड़ रहा है। जेएसएससी के अंतर्गत 6 नियुक्तियां पहले ही रद्द कर दी गई हैं। वर्ष 2019 के नवंबर में हजारीबाग में होमगार्ड के अंतर्गत 1298 नियुक्तियां आई थीं। इसकी परीक्षा वर्ष 2021 को ली गई। लेकिन कुछ समय बीतने के बाद इन सभी नियुक्तियों को रद्द कर दिया गया। इसे लेकर हजारीबाग के युवाओं में काफी आक्रोश है। पिछले 31 दिनों से पास 1298 अभ्यर्थी हजारीबाग समाहरणालय स्थित उपायुक्त कार्यालय के सामने धरना दे रहे हैं।
इन अभ्यर्थियों का एक प्रतिनिधिमंडल 15 दिन पहले राज्य के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन से भी जाकर मिला था। सोरेन ने 2 से 3 दिन में समस्या का समाधान करने की बात कही थी। 15 दिन बीत जाने के बाद भी मुख्यमंत्री की ओर से कोई प्रतिक्रिया नहीं दी गई। इसी के विरोध में हजारीबाग में आंदोलन कर रहे अभ्यर्थियों ने मुख्यमंत्री दर्शन दो के नारे के साथ हजारीबाग से रांची की ओर पैदल ही प्रस्थान कर दिया। मुख्यमंत्री से इनकी मांग है कि या तो इन्हें नियुक्ति दे दी जाए या फिर इन्हें मौत दे दी जाए।
पैदल यात्रा में शामिल एक अभ्यर्थी ने कहा कि चुनाव से पहले मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने राज्य के युवाओं को यह भरोसा दिलाया था कि हर साल 500000 युवाओं को नौकरी देने का काम करेंगे। लेकिन नौकरी देने की तो बात बहुत दूर है, जिन लोगों की नियुक्तियां हो गई थी उनकी भी नियुक्तियां छीन ली जा रही हैं। ऐसे में झारखंड के बेरोजगार युवाओं के पास आत्महत्या करने के अलावा कोई विकल्प नहीं बचा है।
एक छात्र ने कहा कि झारखंड में सभी नियुक्तियों को सिर्फ इसलिए रद्द कर दिया जा रहा है क्योंकि वह नियुक्तियां भाजपा की रघुवर सरकार के कार्यकाल में आई थी। अब इन नियुक्तियों को रद्द करने का कारण यह है कि नई नियुक्तियों में उन्हें अच्छी खासी धनराशि प्राप्त हो सकती है। यानी हर नौकरी पर भ्रष्टाचार के माध्यम से काफी पैसे जमा किए जा सकते हैं। यही वजह है कि रघुवर सरकार के कार्यकाल के दौरान आई हुई सभी नियुक्तियों को रद्द कर दिया जा रहा है।
नेता प्रतिपक्ष बाबूलाल मरांडी ने युवाओं का किया समर्थन
झारखंड नेता प्रतिपक्ष बाबूलाल मरांडी ने ट्वीट करते हुए कहा कि झारखंड में नौकरियों का झूठा वादा करने वाले सीएम को अब राज्य के युवा ढूंढ़ रहे हैं। इसके बाद उन्होंने तंज कसते हुए कहा कि देखना है सीएम साहब अब क्या नया वादा करते हैं? हालांकि झारखंड में हेमंत सोरेन की सरकार अपने आप को युवाओं की सरकार कहती है। लेकिन जब से झारखंड में नई सरकार बनी है तब से किसी न किसी वजह से युवा धरने और आंदोलन में ही दिखाई पड़ते हैं। अगर यही हाल रहा तो झारखंड में वह दिन दूर नहीं जब आगामी चुनाव में उनके पास अपनी पिछली घोषणा पत्र को दोहराने के अलावा और कोई विकल्प नहीं रह जाएगा।
दस वर्षों से पत्रकारिता में सक्रिय। राजनीति, सामाजिक और सम-सामायिक मुद्दों पर पैनी नजर। कर्मभूमि झारखंड।
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