उत्तराखंड के हिमालय क्षेत्र में हो रही बर्फबारी ग्लेशियरों के लिए फायदेमंद होगी। वाडिया इंस्टीट्यूट देहरादून के निदेशक ने अपने शोध के आधार पर कहा है कि अभी भी धरती के बढ़ते तापमान की चिंता करना जरूरी है।
वाडिया संस्थान के निदेशक डॉ कालाचंद सांई ने कहा है कि पिछले 20 सालों में हिमालय के ग्लेशियरों के पिघलने की गति में 31 फीसदी की इजाफा दर्ज किया गया है। सैटेलाइट के जरिये दो लाख 30 हजार छोटे बड़े ग्लेशियरों पर नजर रखने के लिए एकत्र डाटा के अध्ययन करने के बाद ये निष्कर्ष निकाला है कि बर्फ पिघलने की रफ्तार ज्यादा है, जबकि पड़ने की रफ्तार अभी भी कम है, लिहाज़ा हिमालय के ग्लेशियरों की मजबूती के लिए पड़ने वाली बर्फ का स्वागत किया जाना चाहिए। डॉ साईं ने कहा जितनी बर्फ पड़ेगी उसका फायदा हमारे वाटर बैंक के लिए होगा।
डॉ कालाचंद सांई ने कहा कि यमनोत्री, गंगोत्री, संतोपंथ, बदरीनाथ, डोक रियानी, बन्दरपूंछ, भागीरथी आदि ग्लेशियरों में भारी बर्फबारी समय की जरूरत है। उन्होंने कहा कि इन इलाकों में तापमान नियंत्रण में यदि रहे तो इसके और अच्छे परिणाम सामने आएंगे और इसके लिए उपाय सोचे जा सकते हैं। उन्होंने कहा हिमालय क्षेत्रों में वाहनों के धुंए को कम करने के लिए इलेक्ट्रॉनिक वाहनों का इस्तेमाल किया जाना चाहिए।
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