रक्षा मंत्रालय ने रानीखेत लैंसडौन छावनी परिषद सहित अन्य छावनियों से वाहन प्रवेश शुल्क समाप्त कर दिया है। रक्षा मंत्रालय से आदेश पहुंचने के बाद रानीखेत के पिलखोली, घिंघारीखाल, गनियाद्योली आदि एंट्री टैक्स नाकों से वाहनों से प्रवेश शुल्क की वसूली बंद कर दी गई और इसकी सूचना भी रक्षा मंत्रालय को दे दी गई।
पूर्व में अन्य छावनी क्षेत्रों की भांति रानीखेत में भी चुंगी प्रथा लागू थी। 1991 में अविभाजित उत्तरप्रदेश में सरकार ने नगरपालिकाओं में चुंगी प्रथा समाप्त कर दी। ऐसे में रानीखेत में भी छावनी नागरिकों की ओर से चुंगी वसूली समाप्त करने की मांग जोर-शोर से उठने लगी थी। 2006 में छावनी अधिनियम संशोधन में टोल टैक्स की जगह व्हीकल एंट्री टैक्स की व्यवस्था दी गई। हालांकि रानीखेत छावनी में टोल टैक्स की व्यवस्था जारी रही और वाहन प्रवेश शुल्क वर्ष 2012 से लागू किया गया, जो अब तक जारी रहा। रक्षा मंत्रालय से आए फरमान के बाद तुरंत ही टोल टैक्स चौकियों पर झुके बैरियरों को उठा दिया गया।
इधर रक्षा मंत्रालय की ओर से रानीखेत सहित ऐसी छावनियां जहां वाहन प्रवेश शुल्क लागू है उनको निदेशक भूमि, शर्मिष्ठा मित्रा की ओर से भेजे निर्देश में कहा गया कि यह देखा गया है कि छावनी द्वारा बैरिकेड्स,नाका लगाकर वाहन प्रवेश शुल्क की वसूली माल और यातायात के सुचारू संचालन की दिशा में सरकार की पहल के अनुरूप नहीं है और जीवन को आसान बनाने के प्रयासों को बाधित करती है, इसलिए यह निर्णय लिया गया है कि छावनी बोर्डों द्वारा वाहन प्रवेश शुल्क की वसूली को तुरंत रोक दिया जाए। रक्षा मंत्रालय के नव वर्ष पर दिए इस तोहफे से निश्चित ही व्यवसायियों, सैलानियों और स्थानीय नागरिकों की जेब पर बोझ कम होगा। हालांकि इस फैसले से छावनी परिषदों को आर्थिक रूप से नुकसान लाजमी है। बताया जाता है छावनी परिषद को वाहनों से करोड़ों रुपया राजस्व प्राप्त हो रहा था।
टिप्पणियाँ