पड़ोसी इस्लामी देश सिख समुदाय को लगातार अपनी नफरती राजनीति का शिकार बना रहा है। किसी न किसी बहाने इस अल्पसंख्यक समुदाय को अपमानित किया जा रहा है। सरकारी दफ्तर हों या अन्य स्थान, सिखों को अपने पंथ के अनुसार रहने या बपनी बात रखने से रोका जा रहा है। हाल में अल अरबिया पोस्ट में इस विषय पर एक रिपोर्ट प्रकाशित की गई है। इन सब चीजों का खुलासा होने के बाद वहां पहले से बदतर बर्ताव झेल रहे सिख समुदाय में रोष व्याप्त है।
पाकिस्तान में बड़े सुनियोजित तरीके से सिख अल्पसंख्यकों की भावनाओं को ठेस पहुंचाई जा रही है। है। अल अरबिया पोस्ट की रिपोर्ट बताती है कि करतारपुर गलियारे के संदर्भ में वहां कहा गया है कि सरकारी लेखेजोखे में गड़बड़ियां पाई गई हैं। इतना ही नहीं, जिस अंडरपास का नाम सालों से 'गुलाब देवी लाहौर अंडरपास' था उसका नाम बदल दिया गया है। अब उसे 'अब्दुल सत्तार ईधी' कर दिया गया है। खैबर पख्तूनख्वा सूबे में सरकारी दफ्तरों में अब सिखों को अपनी कृपाण के साथ प्रवेश करने की मनाही कर दी गई है।
पाकिस्तानी पंजाब सूबे के जिला नरोवाल के डीएम नबील इरफ़ान ने दिसंबर 2021 में मेजर जनरल कमल अज़फ़र, महानिदेशक, फ्रंटियर वर्क्स ऑर्गनाइजेशन को लिखे एक पत्र में उंगली उठाई है कि करतारपुर गलियारे के पैसे का गलत इस्तेमाल किया गया है। इतना ही नहीं, इसके लेखेजोखे के लिए जिम्मेदार पाकिस्तान के सीएजी की कमेेटी सार्वजनिक खातों के कागज दिखाने से मना कर रही है।
जिला पेशावर के एक जाने-माने सिख नेता गुरपाल सिंह को गत 21 दिसंबर को पेशावर हाईकोर्ट के अतिरिक्त रजिस्ट्रार ने एक पत्र भेजकर एक अजीबोगरीब शर्त की जानकारी दी। पत्र में उनकी तरफ से कहा गया है कि सिखों की पवित्र निशानी कृपाण को 'लाइसेंसी हथियार' ठहराया गया है इसलिए इसे धारण करने वाले सिखों को इसके लिए लाइसेंस लेना होगा।
नबील का ये भी आरोप है कि एडीसी, नरोवाल शोएब सलीम की दी गई रिपोर्ट में गड़बड़ियां पकड़ में आई हैं। रिपोर्ट में है कि करीब 165 करोड़ पाकिस्तानी रुपए की गड़बड़ी पाई गई है। अल अरबिया पोस्ट के समाचार में बताया गया है कि सीमेंट के 7 लाख कट्टों के बिल दिखाए गए हैं, लेकिन असल में सिर्फ करीब 4.29 लाख कट्टे ही काम में आए हैं। इमारतों के लिए घटिया दर्जे की ईंटें खरीदी गईं जबकि बिल अच्छी क्वालिटी की ईंटों का दिया गया था।
और तो और, करतारपुर गलियारे का जिस ग्लोबल नोबेल कंपनी को ज्यादातर काम दिया गया था, जिसके मालिक हैं ब्रिगेडियर (सेनि) यूसुफ मिर्जा, उस कंपनी को ये काम मिलने से सिर्फ तीन दिन पहले ही बनाया गया था।
इसके अलावा सिखों की भावनाओं को आहत करते हुए गत 21 दिसंबर को पंजाब सूबे की सरकार ने गुलाब देवी अस्पताल के सामने बने 'गुलाब देवी अंडरपास' का नाम बदल दिया। अब इसे 'अब्दुल सत्तार ईधी अंडरपास' नाम दिया गया है। उल्लेखनीय है कि गुलाब देवी लाला लाजपत राय की माता जी का नाम था। वही लाला लाजपत राय जिन्होंने 1927 में अपनी माता जी की स्मृति में यह टीबी अस्पताल बनाने तथा इसके संचालन के लिए एक ट्रस्ट बनाया था।
जिला पेशावर के एक जाने-माने सिख नेता गुरपाल सिंह को गत 21 दिसंबर को पेशावर हाईकोर्ट के अतिरिक्त रजिस्ट्रार ने एक पत्र भेजकर एक अजीबोगरीब शर्त की जानकारी दी। पत्र में उनकी तरफ से कहा गया है कि सिखों की पवित्र निशानी कृपाण को 'लाइसेंसी हथियार' ठहराया गया है इसलिए इसे धारण करने वाले सिखों को इसके लिए लाइसेंस लेना होगा।
A Delhi based journalist with over 25 years of experience, have traveled length & breadth of the country and been on foreign assignments too. Areas of interest include Foreign Relations, Defense, Socio-Economic issues, Diaspora, Indian Social scenarios, besides reading and watching documentaries on travel, history, geopolitics, wildlife etc.
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