पंजाब दौरे के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सुुुुुरक्षा में चूक को लेकर राज्य की कांग्रेस सरकार की हर तरफ से छीछालेदर हो रही है। आलम यह है कि पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट ने भी राज्य की सुरक्षा व्यवस्था पर तल्ख टिप्पणी की है। बेअदबी मामले में सुनवाई के दौरान अदालत ने राज्य सरकार से कहा कि आप प्रधानमंत्री का दौरा तो सम्भाल नहीं पाए, डेरा प्रमुख राम रहीम को कैसे सम्भालेंगे? अदालत की इस टिप्पणी से पंजाब में सत्तारूढ़ कांग्रेस सरकार की काफी थू-थू हो रही है।
दरअसल, राज्य सरकार ने बेअदबी मामले में डेरा सच्चा सौदा प्रमुख गुरमीत सिंह राम रहीम को पूछताछ के लिए प्रोडक्शन वारंट पर पंजाब लाने के लिए अदालत से अनुमति देने की मांग की थी। इस मामले में फरीदकोट की ट्रायल कोर्ट ने डेरा प्रमुख को आरोपित बनाया था और उसके खिलाफ प्रोडक्शन वारंट जारी कर दिए थे, जिसे डेरा प्रमुख ने हाईकोर्ट में चुनौती दी थी। हाईकोर्ट ने 28 अक्तूबर को डेरा प्रमुख के प्रोडक्शन वारंट के आदेशों को रद्द करते हुए सरकार को आदेश दिया था कि बेअदबी मामले की जांच के लिए गठित एसआईटी रोहतक की सुनारिया जेल में जाकर डेरा प्रमुख से पूछताछ कर सकती है। पूछताछ के लिए डेरा प्रमुख को फरीदकोट लाना जरूरी नहीं है। इस पर पंजाब सरकार ने हाईकोर्ट का रुख किया था और डेरा प्रमुख को प्रोडक्शन वारंट पर लाने के आदेश पर लगी रोक हटाने के लिए अदालत से आग्रह किया था। सरकार की ओर से कहा गया कि डेरा प्रमुख की पेशी के दौरान 35,000 सुरक्षाकर्मी तैनात किए जाएंगे और गुरमीत राम रहीम को हेलीकॉप्टर से पंजाब लाया जाएगा। इसी पर हाईकोर्ट ने तल्ख टिप्पणी की।
न्यायमूर्ति अरविंद सांगवान ने कहा कि क्या डेरामुखी वीआईपी है और प्रधानमंत्री से ऊपर है? प्रधानमंत्री के दौरे के दौरान जो हुआ, उसे सरकार संभाल नहीं पाई। अगर डेरा प्रमुख को अदालत में पेश किया गया तो हालात कैसे संभाल सकती है? इसी के साथ अदालत ने राज्य की सुरक्षा व्यवस्था पर चिंता जताते हुए प्रोडक्शन वारंट के आदेशों पर लगी रोक को 21 अप्रैल तक बढ़ाते हुए सुनवाई स्थगित कर दी। सुनवाई के दौरान राज्य के महाधिवक्ता ने जवाब देने के लिए कुछ और समय की मांग की थी। संभावना है कि अब इस मामले की सुनवाई पंजाब विधानसभा चुनाव के बाद हो।
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