पंजाब दौरे के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सुरक्षा में चूक मामले में मामले में खालिस्तानी लिंक सामने आया है। प्रतिबंधित खालिस्तानी आतंकी संगठन सिख्स फॉर जस्टिस (एसएफजे) के आतंकी गुरपतवंत सिंह पन्नू का एक वीडियो सामने आया है। इसमें उसने प्रधानमंत्री मोदी को धमकी देते हुए दावा किया है कि पंजाब को भारत से अलग करने के लिए खालिस्तानी तैयार हैं। इस वीडियो में पन्नू यह भी कह रहा है कि 5 जनवरी को 'फ्री खालिस्तान' जनमत संग्रह आंदोलन शुरू हो गया है और पंजाब के लोगों ने स्वतंत्रता की ओर कदम बढ़ा दिया है।
वीडियो में प्रधानमंत्री मोदी और भारत सरकार का ध्यान आकर्षित करते हुए पन्नू ने कहा कि 'फ्री खालिस्तान' जनमत संग्रह अभियान 5 जनवरी को तब शुरू हुआ, जब ‘तिरंगेवाले’ (भारतीय) पंजाब से दिल्ली भाग गए। ‘खंडे और केसरी वालों (सिख)’ ने भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पंजाब से भागने पर मजबूर कर दिया।भारत को धमकी देते हुए आतंकी ने कहा कि पंजाब ने आजादी की ओर पहला कदम बढ़ाया है। पंजाब की जनता ने आज फैसला कर लिया है। मोदी और उनकी सरकार को ध्यान देना चाहिए कि जब इंदिरा हथियारों के साथ पहुंची थीं, तो उन्होंने अहसान वापस कर दिया था (पूर्व पीएम इंदिरा गाँधी की हत्या की तरफ इशारा)। उसने आगे कहा, 'आप सभी पंजाब में डर पैदा करने आए थे, लेकिन पंजाब के लोगों ने आपको चुपचाप घर लौटने के लिए मजबूर कर दिया। खालिस्तान जनमत संग्रह बम के बजाय वोटों पर आधारित है और वह वोट की इस शक्ति का उपयोग पंजाब को मुक्त कराने के लिए करेगा।'
पन्नू ने कहा कि पंजाब ने फैसला किया है कि पंजाब में जनमत संग्रह उस समय होगा, जब राज्य में 2022 में विधानसभा चुनाव होंगे और कोई भी राजनीतिक दल जो केसरी के खिलाफ खड़ा होगा, चाहे वह कांग्रेस का चन्नी हो, सिद्धू, भाजपा, या ‘झाड़ू वाले (आआपा),’ उन्हें खंडे के साथ जवाब दिया जाएगा। तिरंगे का समर्थन करने वालों को पंजाब छोडक़र दिल्ली चले जाना चाहिए।' बता दें कि गुरपवंंत पन्नू अकसर खालिस्तान का प्रचार करता रहता है और इसके लिए उसने उच्च स्तर पर रेफरेंम- 2020 का अभियान चलाया था, परन्तु भारत सरकार की नीतियों के सामने उसका यह प्रयास बुरी तरह विफल रहा। पन्नू ने दिल्ली की सीमा पर चले कथित किसान आन्दोलन के दौरान भी खालिस्तानी जहर फैलाने की भरपूर कोशिश की और उसके भडक़ाए लोगों ने ही विगत 26 जनवरी को लाल किले पर उत्पात मचाया और दिल्ली को दंगों की आग में झोंक दिया। पूरे आन्दोलन के दौरान खालिस्तानी प्रचार पन्नू की शह पर ही होता रहा है।
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