झारखंड में उन्मादियों की एक भीड़ ने संजू प्रधान को अधमरा कर जिंदा जला दिया, लेकिन राज्य सरकार के लिए यह घटना 'मॉब लिचिंग' नहीं है। सरकार यदि ऐसा मानती तो अब तक उनके परिवार वालों के लिए मुआवजे की घोषणा करती, कुछ मंत्री और नेता संजू के घर वालों से मिलते। लेकिन ऐसा कुछ नहीं हो रहा है। भाजपा को छोड़कर इस घटना पर किसी भी राजनीतिक दल ने प्रतिक्रिया देना भी ठीक नहीं समझा। वहीं मोटर साइकिल चोर तबरेज और बलात्कार का आरोपी अलीमुद्दीन की पिटाई के समय यही नेता उनके घरों की ओर भाग रहे थे और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से इस्तीफा मांग रहे थे। लेकिन संजू प्रधान की हत्या पर ऐसा कुछ नहीं हो रहा है।
संजू सिमडेगा जिले में कोलेबिरा थाना के अंतर्गत पड़ने वाले गांव बेसराजरा बाजारटांड़ के रहने वाले थे। उन पर गांव वालों ने जंगल से लकड़ी काटकर उसकी तस्करी करने का आरोप लगाया था। वहीं संजू के घर वालों का कहना था कि उन्होंने घर बनाने के लिए लकड़ी काटी थी, न कि तस्करी के लिए। लेकिन गांव वाले अपने आरोप पर डटे रहे और उन्होंने एक पंचायत बुलकार संजू को मौत की सजा सुना दी। इसके बाद गांव वालों ने उनकी जमकर पिटाई कर दी। संजू प्रधान की मां धनमईत देवी के अनुसार जब भीड़ संजू को पीट रही थी तब उन्होंने और उनकी बहू सपना देवी ने उसे बचाने का प्रयास किया, लेकिन किसी ने उनकी एक नहीं सुनी। परिजनों के अनुसार उन्मादियों का जब इतने से भी मन नहीं भरा तो उन्होंने संजू के घर के बाहर रखी लकड़ी को जलाकर घायल संजू को उसमें फेंक दिया। इस दौरान वहां पुलिस भी थी। पुलिस का कहना है कि उन्मादियों की संख्या की अपेक्षा कम पुलिसकर्मी थे, इसलिए संजू को बचाया नहीं जा सका। जब ज्यादा पुलिस आई तब संजू के अधजले शव को निकालकर पोस्टमार्टम के लिए भेजा गया। इस घटना के दो दिन बाद पुलिस ने तीन आरोपियों को गिरफ्तार किया है। सिमडेगा एसडीपीओ ने गुरुवार को बताया कि इस मामले में कई ऐसे लोग हैं, जिनकी गिरफ्तारी जल्द हो जाएगी।
संजू से पहले गुमला के सिसई में भी दो युवकों को भीड़ ने पीटा है। घटना 1 जनवरी की है। सिसई के रहने वाले दो भाई संजय उरांव और अजय उरांव की मां पर डायन होने का आरोप था। दोनों भाइयों ने इसका विरोध किया था। इसलिए गांव के कुछ लोगों ने उन दोनों की इस तरह पिटाई कर दी कि अजय उरांव की आंखें फूट गईं। इस मामले में पुलिस ने छह लोगों पर मामला दर्ज किया है। गुमला जिले के पालकोट में भी तीन जनवरी को ऐसी घटना हुई। इस दिन टेंगरिया गांव निवासी फूलकुमारी देवी के घर को उन्मादियों ने घेर लिया और पथराव करना शुरू कर दिया। फूलकुमारी व उसके परिवार के सदस्य किसी तरह से घर से बाहर भाग गए और रात भर गांव से बाहर अपने रिश्तेदारों के पास रहे। इस मामले में भी जब पुलिस को घटना की जानकारी दी गई तो पुलिस ने दोनों पक्षों को बैठाकर समझौता कराने का काम किया, लेकिन किसी पर कोई कार्रवाई नहीं की। फूलकुमारी पर भी डायन होने का आरोप है। इन सभी घटनाओं को उन्मादी भीड़ ने अंजाम दिया है। इसके बावजूद इनके आरोपियों पर 'मॉब लिचिंग' की धारा नहीं लगाई गई।
यह उस झारखंड में हो रहा है, जहां की विधानसभा ने बीते 21 दिसंबर को ही ध्वनि मत से मॉब लिचिंग कानून बनाया है। उसके अनुसार मॉब लिचिंग के दोषियों को आजीवन कारावास की सजा दी जाएगी, लेकिन यह तब होगा जब आरोपियों पर इस कानून के तहत मामले दर्ज होंगे।
दस वर्षों से पत्रकारिता में सक्रिय। राजनीति, सामाजिक और सम-सामायिक मुद्दों पर पैनी नजर। कर्मभूमि झारखंड।
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