हेमंत सोरेन के मुख्यमंत्री बनने के बाद झारखंड में नक्सलियों का दुस्साहस बढ़ता जा रहा है। ऐसा लगता है कि नक्सलियों को न तो पुलिस का डर रह गया है और न ही सरकार का। गत चार जनवरी की शाम सवा छह बजे पश्चिमी सिंहभूम के नक्सल प्रभावित गांव जिलरुवां में नक्सलियों ने भाजपा के पूर्व विधायक गुरुचरण नायक पर हमला कर दिया। कहा जाता है कि नक्सलियों की संख्या 100 के आसपास थी। पूर्व विधायक ने किसी तरह से भाग कर अपनी जान तो बचा ली, लेकिन उनकी सुरक्षा में तैनात दो सुरक्षाकर्मियों को नक्सलियों ने गला रेतकर मार डाला। वहीं उनकी सुरक्षा में एक और सुरक्षाकर्मी किसी तरह अपनी जान बचाने में सफल हो गया। नक्सलियों ने इन सुरक्षाकर्मियों के हथियार भी लूट लिए।
कहा जा रहा है कि पश्चिमी सिंहभूम स्थित गोईलकेरा थाना क्षेत्र के जिलरुवां गांव के एक स्कूल में वार्षिकोत्सव समारोह चल रहा था। इसके मुख्य अतिथि थे गुरुचरण नायक। कार्यक्रम समाप्ति के बाद वे बच्चों के बीच पुरस्कार वितरण कर रहे थे, तभी नक्सलियों ने उन पर हमला कर दिया। उनकी सुरक्षा में तैनात शंकर नायक और ठाकुर हेंब्रम ने नक्सलियों का मुकाबला किया, लेकिन नक्सलियों की संख्या अधिक होने के कारण वे दोनों उनके सामने ज्यादा देर तक टिक नहीं पाए। इसके बाद नक्सलियों ने उन दोनों को पकड़ लिया और उन्हें मार डाला। तीसरे सुरक्षाकर्मी रामकुमार टुडू घायल हैं, जिनका अस्पताल में इलाज चल रहा है। इससे पहले भी 10 जनवरी, 2012 को गुरुचरण पर हमला हुआ था। उस समय भी वे बच गए थे।
झारखंड में बढ़ती नक्सली घटनाओं की भाजपा ने तीव्र निंदा की है। भाजपा विधायक दल के नेता और पूर्व मुख्यमंत्री बाबूलाल मरांडी ने झारखंड की कानून—व्यवस्था पर सवाल खड़े किए हैं। उन्होंने कहा है कि जिस राज्य के जनप्रतिनिधि सुरक्षित नहीं हैं, वहां पर आम जनता का क्या होगा, यह तो सोचने वाली बात है। भाजपा की पिछली सरकारों ने इन नक्सलियों की नसबंदी करने का काम किया था। अब हेमंत सोरेन की सरकार दोबारा इन नक्सलियों को संजीवनी देकर जीवित करने का प्रयास कर रही है। झारखंड पुलिस भी इन नक्सलियों को अब रोक पाने में असफल दिखाई दे रही है।
दस वर्षों से पत्रकारिता में सक्रिय। राजनीति, सामाजिक और सम-सामायिक मुद्दों पर पैनी नजर। कर्मभूमि झारखंड।
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