राजस्थान के सरकारी विभागों में भ्रष्टाचार पर मुख्यमंत्री अशोक गहलोत लाचार हैं। खुद मुख्यमंत्री यह स्वीकार करते हैं कि उनके पास जो विभाग हैं, उसमें भ्रष्टाचार नहीं है, इसकी गारंटी वे नहीं ले सकते। उनका कहना है कि भ्रष्टाचार करने वाले बाहरी नहीं हैं, बल्कि अपने ही हैं। मुख्यमंत्री गहलोत ने मीडियाकर्मियों से यह बात कही।
इससे पहले नवंबर में शिक्षक सम्मान समारोह में मुख्यमंत्री ने एक बयान दिया था। इसमें उन्होंने शिक्षकों के तबादले में घूसखोरी की बात कही थी। इस पर सफाई देते हुए उन्होंने कहा कि उन्होंने एक सामान्य बात पूछी थी। यह केवल शिक्षा विभाग की बात नहीं थी। भ्रष्टाचार हर विभाग में है। उन्होंने कहा, ‘जिन विभागों का प्रभार मेरे पास है, क्या मैं इसकी गारंटी ले सकता हूं कि वहां कोई भ्रष्टाचार होता ही नहीं होगा? वहां भी भ्रष्टाचार होता है। लेकिन भ्रष्टाचार करने वाले विदेशी नहीं हैं, वे अपने ही लोग हैं।‘
भ्रष्ट अफसरों के विरुद्ध मुकदमा चलाने की मंजूरी नहीं मिलने के सवाल पर उन्होंने कहा कि कई बार लगता है कि अभियोजन स्वीकृति नहीं मिलती। भ्रष्टाचार रोधी ब्यूरो में मुकदमा दर्ज होने के बाद अभियोजन स्वीकृति देना या नहीं देना संबंधित विभाग पर निर्भर करता है। लेकिन कई बार परिस्थिति अलग होती है और मुकदमा दर्ज हो जाता है। बाद में जब जांच होती है तो मामला अलग निकलता है, इसलिए विभाग से मंजूरी नहीं मिलती।
भ्रष्टाचार के मामलों में आईएएस, आईपीएस जैसे बड़े अधिकारियों के विरुद्ध अभियोजन की मंजूरी नहीं देने के सवाल पर उन्होंने इसका ठीकरा केंद्र सरकार के सिर फोड़ दिया। उन्होंने कहा कि आईएएस, आईपीएस, आईएफएस अखिल भारतीय सेवा के अंतर्गत आते हैं। इन पर भारत सरकार का नियंत्रण होता है। अभियोजन स्वीकृति का फैसला केंद्र सरकार ही लेती है। इन मामलों में राज्य सरकार अभियोजन की मंजूरी नहीं दे सकती।
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