दिव्यांग शतरंज खिलाड़ी मलिका हांडा ने सोशल मीडिया में एक वीडियो पोस्ट करके अपना दर्ज बयां किया है। साथ ही पंजाब सरकार पर आरोप लगाया है कि राज्य सरकार ने उन्हें नौकरी और कैश अवॉर्ड देने का वादा किया था, लेकिन बाद में यह कहकर मुकर गई कि हमारे पास दिव्यांग खिलाड़ियों के लिए कोई नीति नहीं है। इसके बाद सोशल मीडिया पर आवाज उठ रही है कि क्या पंजाब में लड़कियों के लिए कोई सुनवाई नहीं है। क्या कांग्रेस नेता प्रियंका गांधी वाड्रा का यह नारा सिर्फ उत्तर प्रदेश के लिए है कि – लड़की हूँ लड़ सकती हूँ' ? क्या कांग्रेस पंजाब में लड़कियों के लिए आवाज नहीं उठाएगी।
शतरंज खिलाड़ी मलिका हांडा ने अपने ट्विटर पर वीडियो शेयर किया है, जिसमें वे अपने मेडल्स को दिखाते हुए अपना दर्द बयां कर रही हैं। वे साइन लैंग्वेज में कह रही है कि राज्य सरकार ने उनसे नौकरी और कैश अवॉर्ड देने का वादा किया था, लेकिन अब पूरा करने से इनकार किया है। साथ ही उन्होंने लिखा है कि मैं बहुत आहत महसूस कर रही हूं। 31 दिसंबर को पंजाब के खेल मंत्री परगट सिंह से मिली थी। उन्होंने कहा कि पंजाब सरकार आपको नौकरी और नगद पुरस्कार नहीं दे सकती है क्योंकि दिव्यांग खिलाड़ियों के लिए उनके पास कोई नीति नहीं है।
मलिका हांडा ने पोस्ट में यह भी बताया कि पूर्व खेल मंत्री ने उन्हें कैश अवॉर्ड देने की घोषणा की थी। इसके लिए आमंत्रण पत्र भी उनके पास है, लेकिन कोविड के कारण वह कार्यक्रम रद्द कर दिया गया था। इस घोषणा के बारे में जब उन्होंने मंत्री परगट सिंह को बताया तो उन्होंने कहा कि यह पूर्व मंत्री ने घोषणा की थी, मैंने नहीं। मलिका ने लिखा कि मैं सिर्फ ये पूछ रही हूं कि फिर इसकी घोषणा क्यों की गई थी। कांग्रेस सरकार में मेरे पांच साल बर्बाद हुए, उन्होंने मुझे वेबकूफ बनाया।
बता दें कि मलिका हांडा भारत की ऐसी पहली महिला खिलाड़ी हैं जिन्होंने इंटरनेशनल डेफ चेस चैंपियनशिप में स्वर्ण पदक जीता है। उन्होंने विश्व और एशियाई चैंपियनशिप में भी 6 पदक जीते हैं। 2012 से सात बार नेशनल चैंपियनशिप जीत चुकी हैं। इस वीडियो के वायरल होने के बाद पंजाब सरकार की जमकर किरकिरी हो रही है। हालांकि मामला सामने आने के बाद डिप्टी सीएम सुखजिंदर सिंह रंधावा ने मदद का भरोसा दिलाया है।
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