इन दिनों बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार शराबबंदी को सफल बनाने के लिए अनेक जिलों का दौरा कर रहे हैं। उल्लेखनीय है कि राज्य सरकार के लाख प्रयास करने के बाद भी बिहार में शराबबंदी का उतना असर नहीं दिख रहा है। लोगों को आसानी से शराब मिल रही है। आएदिन शराब की बोतलें पकड़ी भी जा रही हैं। जब इसकी जांच की गई तो इसके तार पश्चिम बंगाल तक फैले मिले। बिहार से सटे पश्चिम बंगाल के कई शहरों में शराब की फैक्टरी चल रही है। इन्हें चलाने वाले ज्यादातर लोग तृणमूल कांग्रेस से जुड़े हैं। यह खुलासा मुर्शीद आलम की गिरफ्तारी से हुआ है। बता दें कि पिछले दिनों पूर्णिया में इसे गिरफ्तार किया गया है। उसने बताया है कि वह डालखोला में शराब बनवाता था और उसे बिहार के विभिन्न हिस्सों में भेजता था। यह भी पता चला है कि उसके यहां काम करने वाले सभी बांग्लादेशी घुसपैठिए हैं।
शराब तस्करी से मुर्शीद ने अकूत संपत्ति जुटा ली है। उसके स्वयं के नाम से 15 बैंक खाते हैं। इसके अलावा वह 25 फर्जी बैंक खातों के माध्यम से शराब तस्करी में लेन-देन करता था। तृणमूल कांग्रेस का नेता होने के कारण उसे पश्चिम बंगाल सरकार का संरक्षण भी प्राप्त था।
बिहार में उसने शराब का कारोबार बड़े पैमाने पर फैला रखा है। उसने पुलिस के समक्ष स्वयं स्वीकार किया है कि बिहार के 20 से अधिक जिलों में वह शराब भेजता था। उत्तर बिहार के अधिकांश जिलों में उसका नेटवर्क फैला था। बिहार में उसके धंधे में तीन दर्जन से अधिक लोग शामिल थे। उसने अपना प्रमुख ठिकाना पूर्णिया को बनाया था।
पुलिस की जांच में यह भी बात सामने आई कि उसने चार शादियां की हैं। इसके अलावा उसके कई लड़कियों से अवैध संबंध थे। वह हर महीने करोड़ों की अवैध कमाई करता था। पूर्णिया के प्रभात काॅलोनी में रहने वाली एक महिला के कारण ही उसने अपना प्रमुख ठिकाना पूर्णिया को बनाया था।
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