पाकिस्तान में इमरान खान के राज में हिंदुओ की हालत बद से बदतर बना दी गई है। मंदिरों पर हमले, जमीनों पर कब्जे, हिन्दुओं से मार—पीट, उनके घरों को जलाने और नाबालिग हिन्दू बच्चियों को अगवा करके उनका कन्वर्जन और जबरन निकाह कराने की घटनाएं कम होने का नाम नहीं ले रही हैं। ताजा समाचार के अनुसार, हाल में सिंध प्रांत में दो हिन्दू लड़कियों को अगवा करके उन्हें इस्लाम कबूलवाकर उनका उन्हीं के अपहरणकर्ताओं से निकाह करवाने की घटना से हिन्दू समुदाय में आक्रोश है।
पता चला है कि सिंध प्रांत में जिला मीरपुर खास में हाल ही में दो हिंदू लड़कियों का अपहरण किया गया था, जिनमें से एक रोशनी मेघवार 13 साल की है तो दूसरी है 19 साल की हरियान मेघवार। फिर मजहबी उन्मादियों ने दोनों का जबरन कन्वर्जन कराया, जिसके बाद उन्हें अगवा करने वाले मजहबी उन्मादियों से ही दोनों का निकाह पढ़वा दिया गया। रोशनी का जिस अपहरणकर्ता से निकाह कराया गया है उसकी उम्र बच्ची की उम्र से दोगुनी से ज्यादा है।
रोशनी मेघवार का निकाह उस अगवा करने वाले मोहम्मद मूसा से करवा दिया गया है। रोशनी को नया इस्लामी नाम दिया गया है, रजिया। रोशनी को कई महीने पहले अगवा करके अवैध रूप से कैद करके रखा गया था। 19 वर्षीया हिन्दू लड़की हरियान मेघवार को अगवा किया गया, उसे भी कन्वर्ट किया गया, फिर 31 साल के पहले से शादीशुदा भाई खान से उसका निकाह करवा दिया गया। |
सोशल मीडिया पर यह चौंकाने वाली जानकारी पाकिस्तान की नेशनल असेंबली के सदस्य, अल्पसंख्यक नेता लाल चंद मल्ही ने साझा की है। मल्ही ने हिन्दुओं के विरुद्ध बढ़ रहे अत्याचारों और जबरन कन्वर्जन को रोकने में नाकाम प्रधानमंत्री इमरान खान की सरकार की कड़ी भर्त्सना की है।
अपने ट्विटर हैंडल पर लाल चंद मल्ही ने 24 दिसम्बर को दोनों लड़कियों के साथ हुई इस दुखद घटना की जानकारी देते हुए उनके चित्र भी साझा किए हैं। मल्ही पाकिस्तान में मानवाधिकार मामलों के संसद सचिव भी हैं। हिन्दू नेता मल्ही के बताया है कि थारपारकर की रोशनी मेघवार का निकाह उस अगवा करने वाले मोहम्मद मूसा से करवा दिया गया है। रोशनी को नया इस्लामी नाम दिया गया है, रजिया। रोशनी को कई महीने पहले अगवा करके अवैध रूप से कैद करके रखा गया था। 19 वर्षीया हिन्दू लड़की हरियान मेघवार को अगवा किया गया, उसे भी कन्वर्ट किया गया, फिर 31 साल के पहले से शादीशुदा भाई खान से उसका निकाह करवा दिया गया।
उल्लेखनीय है कि अंतरराष्ट्रीय मंचों पर पाकिस्तान को लगातार अपने यहां अल्पसंख्यकों के दमन का दोषी ठहराया जाता रहा है, लेकिन उसके यहां बेखौफ हो चुके मजहबी उन्मादियों के रवैए में कोई बदलाव नहीं देखने में आया है। अंतरराष्ट्रीय समुदाय ने अनके अवसरों पर पाकिस्तान को अपने यहां अल्पसंख्यकों की हिफाजत की चिंता करने को कहा है लेकिन इस्लामी हुकूमत ने इस तरफ कोई ध्यान नहीं दिया है। अल्पसंख्यकों के दमन के मामले कम होने की बजाय बढ़ते ही दिखे हैं।
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