गत 20 दिसंबर को प्रयागराज में भारत की स्वतंत्रता के अमृत महोत्सव पर सामूहिक वंदेमातरम् गायन का आयोजन किया गया। इस अवसर पर तन समर्पित, मन समर्पित और यह जीवन समर्पित के भाव को लेकर देशभक्तों ने वंदेमातरम् गीत गाकर प्रयाग की धरती पर एक नया कीर्तिमान स्थापित किया। इसका आयोजन अमृत महोत्सव समिति, प्रयाग ने किया था।
कार्यक्रम को मुख्य वक्ता के नाते राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सह सरकार्यवाह श्री रामदत्त चक्रधर ने संबोधित किया। उन्होंने कहा कि ‘स्व’ के आधार पर देश को विकसित करने पर ही देश विश्व गुरु बन सकेगा। उन्होंने इसके लिए सभी से अपनी मातृभाषा में हस्ताक्षर करने तथा निमंत्रण पत्र में अपनी भाषा का प्रयोग करने की आवश्यकता पर बल दिया। उन्होंने कहा कि स्वत्व का जागरण कर भारत को शक्तिशाली बनाकर विश्व गुरु के पद पर आसीन किया जा सकता है। इसके लिए स्वदेशी तकनीक, स्व-भाषा का प्रयोग तथा स्वधर्म का अनुगमन करना होगा।
राष्ट्रभक्ति के ज्वार को जन-जन में फैलाना आज समय की सबसे बड़ी आवश्यकता है। कार्यक्रम के अध्यक्ष न्यायमूर्ति शेखर यादव ने कहा कि एकता न होने से हमें गुलाम होना पड़ा और विदेशियों ने हम पर शासन किया। इसलिए एकता बनाए रखें। राम-कृष्ण, गंगा, गीता, शिवाजी, राणा प्रताप के प्रति देशवासियों में सम्मान का भाव बना रहेगा तो कोई देश को गुलाम बनाने की हिम्मत नहीं कर सकेगा। समारोह स्थल पर 75 कलशों से सजावट, 75 फीट की रंगोली, 75 महापुरुषों की अलग-अलग परिधानों में झांकी आकर्षण का केंद्र थी।
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