पाकिस्तानी प्रधानमंत्री इमरान खान के लिए हर मोर्चे पर मुश्किलों के अंबार खड़े होते जा रहे हैं। उनकी पार्टी पीटीआई में गुटबाजी और सिरफुटौव्वल की नौबत आ गई है तो उनकी सरकार की लोकप्रियता का ग्राफ लगातार नीचे गिर रहा है। और अब पाकिस्तान का रुपया अब तक के अपने सबसे खराब स्तर पर जा पहुंचा है। आज पाकिस्तानी मुद्रा दुनिया की सबसे खराब प्रदर्शन करने वाली मुद्राओं में से एक बन गई है।
पाकिस्तान के सुप्रसिद्ध अंग्रेजी दैनिक द डॉन की 28 दिसम्बर यानी कल की रिपोर्ट के अनुसार, पाकिस्तान की सरकार अपनी अर्थव्यवस्था को गिरने से बचाने के लिए जल्दी ही फिर से अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आइएमएफ) का दरवाजा खटखटाने को मजबूर हो सकती है। हालात यहां तक खराब होती जा रही है कि इस साल की शुरुआत से ही उसकी कीमत में करीब 12 प्रतिशत की गिरावट दर्ज की गई थी, जो मई के मध्य में 17 प्रतिशत तक पहुंच गई थी।
द डॉन की रिपोर्ट आगे बताती है कि पाकिस्तान के स्टेट बैंक ने रुपए को स्थिर करने हेतु कई प्रयास किए हैं। पाकिस्तान के फेडरल इन्वेस्टीगेशन एजेंसी ने जमाखोरों तथा तस्करों के विरुद्ध लगातार कार्रवाइयां की हैं। इन कार्रवाइयों का उद्देश्य अमेरिकी डालर की आमद को सीमित करके नुकसान को कम करना था, लेकिन तब भी कोई कामयाबी हाथ नहीं लगी है।
प्रधानमंत्री इमरान खान के अब तक के तीन साल, चार महीने के शासन में पाकिस्तानी रुपए की कीमत में 30.5 प्रतिशत की गिरावट आ चुकी है। अगस्त 2018 में जहां 123 पाकिस्तानी रुपए एक डॉलर के बराबर थे, वे बढ़कर वर्तमान दिसंबर माह में करीब 177 रुपए प्रति डॉलर हो गए हैं।
एक आकलन के अनुसार, पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान के अब तक के तीन साल, चार महीने के शासन में पाकिस्तानी रुपए की कीमत में 30.5 प्रतिशत की गिरावट आ चुकी है। अगस्त 2018 में जहां 123 पाकिस्तानी रुपए एक डॉलर के बराबर थे, वे बढ़कर वर्तमान दिसंबर माह में करीब 177 रुपए प्रति डॉलर हो गए हैं। पाकिस्तान के इतिहास यह दूसरी बार है जब इस देश की मुद्रा में दूसरी सबसे बड़ी गिरावट दर्ज की गई है।
पाकिस्तानी मुद्रा की लगातार खराब होती सेहत पर वहां के आर्थिक सलाहकार रहे डा. अशफाक हसन का कहना है कि देश की अर्थ नीति पूरी तरह से पटरी से उतर गई है। सरकारी कर्ज, कर्ज सेवा आदि ने देश की आर्थिक हालत और पतली कर दी है।
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