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होम भारत

कर्मयोग से बना ‘कारखाना’

by सुनील राय
Dec 29, 2021, 03:30 pm IST
in भारत, उत्तर प्रदेश
गोरखपुर खाद कारखाना

गोरखपुर खाद कारखाना

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हाल ही में लोकार्पित खाद कारखाना पूर्वांचल की उन्नति का नया सोपान बना है। यह कारखाना योगी आदित्यनाथ के भगीरथ प्रयासों का परिणाम है। इसके खुलने से नीम कोटेड यूरिया की आपूर्ति सुनिश्चित होगी और लोग खुशहाल होंगे

गोरखपुर खाद कारखाना, पूर्वांचल की तरक्की का नया सोपान साबित होने जा रहा है। यह खाद कारखाना योगी आदित्यनाथ के भगीरथ प्रयास का परिणाम है। योगी आदित्यनाथ ने इस कारखाने को स्थापित कराने के लिए तीन दशक तक संघर्ष किया। उनका अथक परिश्रम तब रंग लाया जब 2014 में नरेंद्र्र मोदी प्रधानमंत्री बने। नरेन्द्र्र मोदी ने 22 जुलाई, 2016 को खाद कारखाने का शिलान्यास किया। 2017 में योगी आदित्यनाथ ने मुख्यमंत्री बनने के बाद इस दिशा में तेजी से कार्य शुरू कराया और गत 7 दिसंबर को प्रधानमंत्री ने इस खाद कारखाने का लोकार्पण किया।

आखिर क्या है इस कारखाने में, जिसकी इतनी चर्चा है? गोरखपुर खाद कारखाने के निर्माण पर करीब 8,000 हजार करोड़ रुपये की लागत आई है। इसकी उत्पादन क्षमता प्रतिदिन 3,850 मीट्रिक टन और प्रतिवर्ष 12.7 लाख मीट्रिक टन उर्वरक उत्पादन की है। इसके उत्पादनशील होने से पूर्वी उत्तर प्रदेश के साथ ही बिहार व उत्तर प्रदेश से लगे अन्य राज्यों में नीम कोटेड यूरिया की बड़े पैमाने पर आपूर्ति सुनिश्चित होगी।

इस कारखाने से पूर्वांचल में रोजगार के रास्ते खुलेंगे। राज्य के किसानों को पर्याप्त मात्रा में यूरिया उपलब्ध होगी। पूर्वांचल में रोजगार और स्वरोजगार के अवसर उत्पन्न होंगे। अनेक नए व्यापार शुरू होंगे, खाद कारखाने से जुड़े सहायक उद्योगों के साथ ही ट्रांसपोर्टेशन, सर्विस सेंटर को बढ़ावा मिलेगा। यूरिया के उत्पादन में देश को आत्मनिर्भर बनाने में इस कारखाने की बड़ी भूमिका होगी और खाद आयात करने में जो विदेशी मुद्रा का दबाव था, वह
कम होगा।

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने खाद कारखाने के लोकार्पण के समय कहा, ‘‘विपक्ष के लिए नामुमकिन रहे कार्यों को पीएम मोदी ने मुमकिन बनाया है। प्रधानमंत्री के हाथों तीन बड़ी विकास परियोजनाओं की सौगात पाकर पूर्वी उत्तर प्रदेश अभिभूत और उद्वेलित है। अब वे सपने साकार हो रहे हैं जिन्हें विपक्ष ने नामुमकिन मान लिया था। तीन दशकों तक पांच सरकारों ने इस बंद पड़े खाद कारखाने को चलाने की हामी भरकर भी इसे असंभव मान लिया था। पर ‘मोदी है तो मुमकिन है’ के स्थापित सत्य के अनुरूप प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस असम्भव को भी सम्भव और नामुमकिन को मुमकिन बना दिया।’  

 

गोरखपुर खाद कारखाना : एक नजर में

शिलान्यास: 22 जुलाई, 2016 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के हाथों
संचालनकर्ता: हिंदुस्तान उर्वरक एवं रसायन लिमिटेड
कुल बजट: करीब 8,000 करोड़ रुपये
यूरिया प्रकार : नीम कोटेड
प्रीलिंग टावर : 149.5 मीटर ऊंचा
रबर डैम का बजट: 30 करोड़
रोजगार प्रत्यक्ष – अप्रत्यक्ष:  10,000
रोजाना यूरिया उत्पादन : 3,850 मीट्रिक टन
रोजाना लिक्विड अमोनिया उत्पादन : 2,200 मीट्रिक टन

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ठेठ गोरखपुरी अंजाद में कहा, ‘‘धर्म, अध्यात्म अउर क्रांति के नगरी गोरखपुर के देवतुल्य लोगन के प्रणाम करत बानी। परमहंस योगानंद,  महायोगी गुरु गोरखनाथ, भाई जी हनुमान प्रसाद पोद्दार, महा बलिदानी पंडित रामप्रसाद बिस्मिल की पावन धरती के कोटि- कोटि नमन। आप सब लोग जवने खाद कारखाना अउर एम्स के बहुत दिन से इंतजार करत रहलीं, आज उ घड़ी आ गइल बा। आप सबके बहुत-बहुत बधाई।’’

मोदी ने आगे कहा कि ‘नया भारत जब ठान लेता है, तो इसके लिए कुछ भी असंभव नहीं है। डबल इंजन की सरकार होती है तो डबल तेजी से काम होता है। कोरोना काल में भी डबल इंजन की सरकार कार्य में जुटी रही, काम रुकने नहीं दिया। नेकनीयती से काम होने पर आपदाएं भी अवरोध नहीं बन पातीं। शोषित और वंचित की चिंता करने वाली सरकार परिश्रम भी करती है और परिणाम भी देती है।’

खाद के मामले में किसानों को राहत

खाद के लिए किसानों की वे लम्बी कतारें और कई दिन से कतार में खड़े किसानों पर पुलिस का लाठीचार्ज, अब बीते दिनों की बात है। नरेन्द्र मोदी ने 2014 में प्रधानमंत्री बनने के बाद इस समस्या को जड़ से समाप्त कर दिया। उस समय देश में फर्टिलाइजर सेक्टर बहुत खराब स्थिति में था। बड़े-बड़े खाद कारखाने वर्षों से बन्द पड़े थे। विदेशों से खाद का आयात किया जा रहा था। इसकी वजह से विदेशी मुद्रा का दबाव बढ़ रहा था। इसके साथ ही सबसे बड़ी समस्या यह थी कि खाद का अन्य कार्यों में इस्तेमाल किया जाता था। इसलिए यूरिया की किल्लत बनी रहती थी। देश को इस स्थिति से निकालने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने तीन संकल्प सूत्रों पर कार्य शुरू कराया।

खाद के अतिरिक्त यूरिया का अन्य कोई इस्तेमाल न होने पाए, इसके लिए यूरिया की शत-प्रतिशत नीम कोटिंग की गई। करोड़ों किसानों को मृदा स्वास्थ्य कार्ड उपलब्ध कराकर जमीन की जरूरत के अनुसार खाद का इस्तेमाल करने के लिए प्रेरित किया गया। कोरोना के दौरान लॉकडाउन से लोगों की आवाजाही बंद हो गई। इससे अन्तरराष्ट्रीय स्तर पर खाद की कीमतें बढ़ गईं। दुनिया में फर्टिलाइजर के दाम बढ़ने के बावजूद खाद के मामले में किसानों को राहत दी गई। इस वर्ष एन.पी.के. फर्टिलाइजर के लिए केन्द्र सरकार द्वारा 43,000 करोड़ रुपये की सब्सिडी दी गई। यूरिया के लिए सब्सिडी में भी 33,000 करोड़ रुपये की वृद्धि की गई।

इस खाद कारखाने को र्इंधन उपलब्ध कराने के लिए प्रधानमंत्री ऊर्जा गंगा गैस पाइपलाइन परियोजना के अंतर्गत हल्दिया से जगदीशपुर तक पाइपलाइन बिछाई गई। इससे खाद कारखाने को धन की आपूर्ति होती रहेगी। इसके संचालन की जिम्मेदारी हिंदुस्तान उर्वरक एवं रसायन लिमिटेड को दी गई है। यह एक संयुक्त उपक्रम है जिसमें कोल इंडिया लिमिटेड, एनटीपीसी, एवं इंडियन आयल कॉर्पोरेशन मुख्य प्रमोटर्स हैं। इसमें फर्टिलाइजर कॉर्पोरेशन आफ इंडिया लिमिटेड और हिंदुस्तान फर्टिलाइजर कॉर्पोरेशन लिमिटेड भी साझीदार हैं। 

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