फौजी के लिए राष्ट्र प्रथम होता है। राष्ट्रीय ध्वज को आखिरी सांस तक थामे रहता है। उसके लिए देश का सम्मान सबसे बड़ा होता है, और देश के गौरव के लिए वह बलिदान होता है। कैप्टन विजयंत थापर के लिए भी देश से बढ़कर कुछ नहीं था। उन्होंने तो यहां तक कह दिया था कि अगले जन्म में फिर सेना में भर्ती होना चाहूंगा। विजयंत थापर ने कारगिल युद्ध में सेना को पहली जीत दिलाई थी। भारत माता के इस अमर सपूत का निश्चय इतना दृढ़ था कि 22 साल की उम्र में चांदनी रात में भी नॉल पहाड़ी पर दुश्मनों के नापाक इरादों को नेस्तनाबूद कर तिरंगा फहरा दिया। भारत सरकार ने उन्हें वीर चक्र से अलंकृत किया। उनका नाम भारतीय सेना के गौरवशाली टैंक विजयंत के नाम पर रखा गया था। 26 दिसंबर को विजयंत का जन्म हुआ था। विजयंत को खीर बहुत पसंद थी और उनकी मां तृप्ता थापर आज भी अपने बेटे की याद में जन्मदिन पर खीर बनाती हैं।
विजयंत ने 28-29 जून 1999 की दरम्यानी रात में नॉल पहाड़ी पर तिरंगा लहराया। थोड़ा आगे बढ़े तो दुश्मनों की मशीनगन से गोलियों की बौछार हो रही थी। विजयंत के कदम रुके नहीं। इसी दौरान एक गोली विजयंत के माथे पर लगी और वह हवलदार तिलक सिंह की बांहों में गिर गए। जहां वह बलिदान हुए उनके साथियों ने वहां मंदिर बनाया। जहां वॉर मेमोरियल बना है, वहां के हेलीपैड का नाम विजयंत हेलीपैड रखा गया। विजयंत के पिता वीएन थापर सेना में कर्नल थे।
तृप्ता थापर बताती हैं कि कर्नल थापर की वजह से घर में अनुशासन था और यह जरूरी भी है। अनुशासन से लक्ष्य तय होता है। विजयंत ने भी लक्ष्य तय कर लिया था। वह हमेशा जीत कर दिखाता था। एक बार चंडीगढ़ में कर्नल थापर ने उससे कहा कि आप स्वीमिंग पूल में पचास की लेंग्थ नहीं क्रॉस कर सकते, इस पर रॉबिन (विजयंत) ने पचास से ज्यादा लेंग्थ पूरी की। एक बार मेरी सहेली विजयंत के लिए अमेरिका से टीशर्ट लाई थीं। उसमें अमेरिका का नक्शा था। विजयंत ने उसे पहनने से मना कर दिया था। उनमें गजब का देशप्रेम था, यही वजह है कि जब उन्हें कोई प्राइज मिलता था तो उसमें मेरा भारत महान लिखा होता था। आज की पीढ़ी इन जांबाजों को यह अहसास जरूर कराती रहे कि उनके साथ पूरा देश खड़ा है। यही तो असली नायक हैं।
नोएडा ने हमेशा दिल में रखा
कारगिल युद्ध में भारत का मस्तक ऊंचा कर विजंयत बलिदान हो गए। पार्थिव देह जब तिरंगे में लिपटकर आई तो पूरा नोएडा अंतिम दर्शन के लिए आया। नोएडा में इस अमर बलिदानी के नाम पर कैप्टन विजयंत थापर मार्ग है। हाल ही में नोएडा में सेक्टर 71-72 और 51-52 के अंडरपास के पास विजंयत थापर चौक लगभग पूरा बन गया है। विजयंत के पिता कर्नल वीएन थापर ने इसके लिए नोएडा अथॉरिटी के सीईओ के प्रति आभार जताया है।
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