दुनिया भर में चीन के उत्पाद अपनी कम गुणवत्ता के लिए बदनाम हैं। उनका भरोसा नहीं रहता कि कब खराब हो जाएं या कम काम करना बंद कर दें। इसी तरह चीन का कोरोना रोधी टीका भी गुणवत्ता के मामले में दोयम साबित हो रहा है। चीन की सिनोवैक कंपनी के टीके कोरोनावैक की तीन खुराकों के बाद भी लोगों में उतनी एंटीबॉडी नहीं बनी हैं कि कोरोना के नए वेरिएंट ओमिक्रॉन से बचाव कर सकें। ऐसे में चीन ही नहीं, दुनिया के हर उस देश के नागरिकों की चिंता बढ़ती जा रही है जिसने अपने यहां कोरोनावैक के टीके लगवाए हैं।
जैसी खबरें आ रही हैं, उनके बीच कोरोना के बहुत ही संक्रामक नए वेरिएंट ओमिक्रॉन के विरुद्ध कोरोनावैक
वैक्सीन का बेअसर साबित होना चिंता में डालने वाली बात ही है। हांगकांग के अनुसंधानकर्ताओं के अनुसार, तीन खुराकें लेने के बाद भी लोगों में ओमिक्रॉन को दूर रखने लायक एंटीबॉडी नहीं बनी हैं।
दुनिया भर से कोरोना वायरस के ओमिक्रॉन वेरिएंट के संक्रमण के चिंताजनक समाचार प्राप्त हो रहे हैं। इतना ही नहीं, बताया यह भी गया है कि एक अन्य वेरिएंट ने भी दस्तक दी है जिसका नाम है डेल्मीक्रॉन। विशेषज्ञों के अनुसार, यूरोप के कई देशों में लगातार बढ़ रहे कोरोना संक्रमण में इसी डेल्मीक्रॉन वेरिएंट का हाथ है।
अनुसंधानकर्ताओं का विश्लेषण बताता है कि चीन की वैक्सीन के मुकाबले फाइजर-बायोएनटेक की वैक्सीन कहीं ज्यादा असरदार पाई गई है। फाइजर-बायोएनटेक की तीन खुराक लगाने के बाद खतरनाक ओमिक्रॉन से लड़ने लायक एंटीबॉडी बनती हैं। फाइजर कंपनी तथा इसकी जर्मन सहयोगी कंपनी बायोएनटेक का कहना है कि उनकी वैक्सीन की तीन खुराकें प्रयोगशाला में ओमिक्रॉन को बेअसर करने में कारगर पाई गई है।
हांगकांग विश्वविद्यालय तथा चाइनीज यूनिवर्सिटी ऑफ हांगकांग के अनुसंधानकर्ताओं द्वारा किए इस शोध के लिए हेल्थ एंड मेडिकल रिसर्च अनुदान तथा हांगकांग सरकार की तरफ से पैसा दिया गया था। शोध के इन नतीजों पर चीन की वैक्सीन निर्माता कंपनी सिनोवैक की तरफ से अभी कोई बयान नहीं आया है। उल्लेखनीय है कि चीन ने सिनोवैक की कोरोनावैक वैक्सीन का व्यापक तौर पर निर्यात किया है। पाकिस्तान भी उन देशों में से एक है जहां चीन की वैक्सीन लगाई गई है।
इस बीच दुनिया भर से कोरोना वायरस के ओमिक्रॉन वेरिएंट के संक्रमण के चिंताजनक समाचार प्राप्त हो रहे हैं। इतना ही नहीं, बताया यह भी गया है कि एक अन्य वेरिएंट ने भी दस्तक दी है जिसका नाम है डेल्मीक्रॉन। विशेषज्ञों के अनुसार, यूरोप के कई देशों में लगातार बढ़ रहे कोरोना संक्रमण में इसी डेल्मीक्रॉन वेरिएंट का हाथ है।
ओमिक्रॉन का पता सबसे पहले दक्षिण अफ्रीका में चला था। तब बताया गया था कि यह पहले के डेल्टा वेरिएंट से भी ज्यादा तेजी से फैलता है। नया डेल्मीक्रॉन वेरिएंट डेल्टा तथा ओमिक्रॉन का एक मेल बताया जा रहा है, जो कहीं तेजी से संक्रमण फैला सकता है।
विश्व स्वास्थ्य संगठन का बयान है कि कोविड का ओमिक्रॉन वेरिएंट दुनिया के अनेक देशों में बहुत तेजी से फैल रहा है। एक आकलन के अनुसार, अब तक यह 106 देशों में पहुंच चुका है। ओमिक्रॉन के शुरुआती डाटा दिखाते हैं कि यह वैक्सीन की क्षमता में सेंध लगा सकता है। इसीलिए अनेक देश बूस्टर डोज देने की तैयारी में जुट गए हैं।
A Delhi based journalist with over 25 years of experience, have traveled length & breadth of the country and been on foreign assignments too. Areas of interest include Foreign Relations, Defense, Socio-Economic issues, Diaspora, Indian Social scenarios, besides reading and watching documentaries on travel, history, geopolitics, wildlife etc.
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