अमृतसर के स्वर्ण मंदिर में पिछले दिनों श्री गुरु ग्रंथ साहिब की बेअदबी की दुखद घटना हुई। इसके बाद आरोपी को पीट-पीटकर मार डाला गया। पंजाब सरकार ने इस मामले की जांच के लिए एसआईटी का गठन किया है। इस घटना से पूरा देश स्तब्ध था। भारत (अमृतसर) से करीब 6300 किलोमीटर दूर भी हलचल हुई। लेकिन यह हलचल नफरत भरी थी। ब्रिटेन में लेबर पार्टी की महिला सांसद प्रीत कौर गिल ने एक ट्वीट किया। वह ट्वीट आप देखिए
इस ट्वीट में गिल ने कहा कि हिंदू आतंकवादी को स्वर्ण मंदिर में सिखों के खिलाफ हिंसा के कृत्य से रोक दिया गया। यानी उन्होंने घटना को हिंदू आतंकवाद का रूप दे दिया। दरअसल, स्वर्ण मंदिर की घटना का वीडियो ब्रिटिश अधिवक्ता हरजप भांगल ने पोस्ट किया था। इस वीडियो पर कमेंट करते हुए लेबर पार्टी की सांसद गिल ने इसे आतंकवाद की घटना बता दिया। फिर इसे हिंदू आतंकी से जोड़ दिया। हालांकि बाद में उन्होंने ट्वीट डिलीट कर दिया और इस घटना की निंदा की। वजह यह थी कि उनके तथ्य गलत थे।
अब आप वह घटना याद कीजिए, जब मुंबई में होटल ताज पर आतंकियों ने हमला किया था। पाकिस्तानी आतंकी कसाब की फोटो वायरल हुई थी। उसमें उसके हाथ पर कलावा बंधा हुआ था। इस आतंकी हमले के जरिये भारत और हिंदू संस्कृति को भी बदनाम करने की पूरी साजिश रच ली गई थी। कसाब जिंदा नहीं पकड़ा जाता तो टुकड़े-टुकड़े गैंग की साजिश सफल हो जाती।
जो संस्कृति पूरे विश्व को एकसूत्र में पिरोती है। जिसका मूल ही वसुधैव कुटुम्बकम है, उसके खिलाफ षड्यंत्र रचे न जा रहे हों, इससे भी इंकार नहीं किया जा सकता है। भारत दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र है। यहां भगवान राम की जन्मभूमि का निर्णय भी कोर्ट के जरिए होता है। ऐसी उदारमना हिंदू संस्कृति ही हो सकती है। आप और गौर कीजिएगा। कांग्रेस पार्टी के युवराज राहुल गांधी भी पिछले कुछ दिनों से कुछ ट्वीट कर रहे हैं। उनके ट्वीट पर जरा गौर कीजिए
राहुल गांधी हिंदू और हिंदुत्व और हिंदुत्वादी में अंतर बता रहे हैं। वह ऐसा क्यों कर रहे हैं, यह तो समय ही बताएगा। लेकिन, हिंदू और हिंदुत्व एक-दूसरे के पूरक हैं कि नहीं, यह बात कक्षा पांच में पढ़ने वाला छात्र भी आसानी से बता सकता है।
अब प्रीत कौर गिल के कुछ पुराने ट्वीट पर भी गौर करते हैं। भारत के टुकड़े कर खालिस्तान की मांग करने वाले विदेश में खासा सक्रिय हैं। अभिव्यक्ति की आजादी के नाम पर वे वहां कुछ भी बोल सकते हैं। भारत से प्रेम करने वाले भी उन्हें करारा जवाब देते रहते हैं। पिछले साल अगस्त में ब्रिटिश बिजनेसमैन लॉर्ड रमींदार (रमी) रेंगर ने एक ट्वीट किया था। उसमें उन्होंने लिखा था कि आज मैंने ब्रिटिश प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन से बात की। उन्होंने सुनिश्चित किया है कि ब्रिटिश सरकार सिखों के अलग आजाद राज्य के आंदोलन का समर्थन नहीं करेगी। धन्यवाद, प्रधानमंत्री। उनके इस पोस्ट पर प्रीत कौर गिल ने टिप्पणी की थी।
उन्होंने लिखा था कि आत्मनिर्णय का सिद्धांत संयुक्त राष्ट्र के चार्टर के अनुच्छेद 1 में प्रमुखता से शामिल है। इसे जुड़वा मानवाधिकारों में पहला अधिकार माना गया है। उनकी बात का समर्थन सिख फेडरेशन यूके ने किया था। गिल की इस टिप्पणी का भी खूब विरोध हुआ। ब्रिटेन में रह रहे सिख समुदाय के लोगों ने उनके खिलाफ अपना गुस्सा जाहिर किया। ब्रिटिश सिख एसोसिएशन ने भी गिल और सिख फेडरेशन यूके को फटकार लगाई थी और कहा था कि फर्जी दावे न करें। सिख फेडरेशन यूके पर यह भी आरोप लगता रहा है कि वह पाकिस्तानी एजेंसी आईएसआई के इशारों पर काम करती है।
वहीं अब एक बार फिर प्रीत कौर गिल ने ऐसे समय में हिंदू और हिंदू संस्कृति के खिलाफ ट्वीट किया जब हिंदुओं को बदनाम करने की एक वैश्विक साजिश चल रही है। टुकड़े-टुकड़े गैंग और खालिस्तानी आतंकी इस बात का ध्यान रखें कि भारत गुरुओं की भी भूमि रही है। गुरु तेगबहादुर जी ने भारतीय संस्कृति की रक्षा के लिए बलिदान दिया है। उनके बलिदान को भारत कभी नहीं भूल सकता है।
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