यूपी में मुस्लिम आबादी नई जनसंख्या आंकड़े में साढ़े चार करोड़ तक पहुंच जाने का अनुमान है। अभी मुस्लिम आबादी यूपी में करीब तीन करोड़ 85 लाख के करीब यानी 19.26 प्रतिशत है। यूपी में सेंटर फॉर द स्टडीज डेवलपिंग सोसाइटी (सीएसडीएस) ने एक सर्वे रिपोर्ट में कहा है कि यूपी में मुस्लिम समुदाय की मानसिकता में तेजी से बदलवाव हुआ है। पहले मौलानाओं के फतवे की गिरफ्त में रहने वाले इस समुदाय ने उनका कहना मानना छोड़ दिया है। शिक्षित मुस्लिम और मुस्लिम महिलाओं में ये परिवर्तन पिछले कुछ सालों में देखने में आया है। एक समय था कि दिल्ली के शाही इमाम के फतवे का भी यूपी में असर होता था अब उनकी कोई सुनता नहीं। सीएसडीएस सर्वे ये भी कहता है कि यूपी के आठ मुस्लिम बाहुल्य सीटे ऐसी हैं, जहां से बीजेपी के सांसद हैं और यहां की बहुत सी विधानसभा सीटों पर भी बीजेपी जीत कर आई थी। मेरठ, कैराना, मुजफ्फरनगर, लखनऊ, बरेली ऐसे लोकसभा क्षेत्र हैं, जहां मुस्लिम वोटबैंक पर बीजेपी ने सेंधमारी की है।
जनसंख्या के ताजे आंकड़े अभी सामने आने हैं, लेकिन जो खबर सामने आ रही है उसके मुताबिक यूपी की 2011 में मुस्लिम आबादी 3 करोड़ 83 लाख 967 थी जो कि अब बढ़कर 4 करोड़ 45 लाख 87 हज़ार 524 हो जाने का अनुमान है। जो कि यूपी की 19.26 प्रतिशत से बढ़कर करीब 20 प्रतिशत तक पहुंच जाएगी। जबकि देश में मुस्लिम आबादी करीब 14 फीसदी है। यूपी में सबसे ज्यादा मुस्लिम आबादी रामपुर जिले में 50.6 प्रतिशत, मुरादाबाद में 47.1 फीसदी, सहारनपुर में 42 फीसदी, मुजफ्फरनगर में 41.3 प्रतिशत, बरेली में 34.5 फीसदी, मेरठ में 34.4 प्रतिशत, और बहराइच में 33.5 प्रतिशत है। 21 जिले ऐसे हैं, जहां मुस्लिम आबादी 20 प्रतिशत से ज्यादा हो चुकी है, जिनमे लखनऊ, गाजियाबाद, नोएडा, बुलन्दशहर आदि हैं। जानकारी के मुताबिक नए आंकड़ों में यूपी के 70 जिलों में से 57 जिलों में हिन्दू आबादी घट रही है और मुस्लिम आबादी बढ़ रही है। 2011 में मुजफ्फरनगर जिले में ये ग्राफ ज्यादा चौकाने वाला है, जहां 3.20 फीसदी हिन्दू घट गए और 3.22 प्रतिशत मुस्लिम जनसंख्या बढ़ गई थी और 2021 के आंकड़े आने पर ये स्थिति और भी चिंताजनक होने वाली है यानि इस जिले से हिन्दू पलायन कर रहा है और इसके पीछे वजह मुस्लिम ही हैं।
यूपी में मुस्लिम विधायकों की संख्या आबादी के अनुपात में घट रही है। 2017 के विधानसभा चुनाव में 403 विधानसभा सीटों में 25 एमएलए ही चुनकर आए, जबकि 2012 में ये संख्या 69 थी। 2014 में लोकसभा चुनाव में बीजेपी को यूपी से 62 सीटे मिली थी उसके बाद से राज्य में मुस्लिम वोटों की राजनीति प्रभावित होने लगी। मोदी के दौर में या बीजेपी के दौर में मौलानाओं का दबदबा अपनी कौम पर कम होने लगा। सीएसडीएस का सर्वे कह रहा है कि योगी सरकार के आने के बाद और मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल के बाद से मुस्लिम महिलाओं का पीएम मोदी की तरफ यानि बीजेपी की तरफ रुझान बढ़ा है। गैस कनेक्शन, बिजली, पानी और कोरोना काल में राशन मदद और खास तौर पर तीन तलाक मुद्दे पर मुस्लिम महिलाओं ने अपने विवेक का इस्तेमाल किया है। शिक्षित मुस्लिमों में भी मोदी सरकार की योजनाओं की वजह से मन की स्थिति में बदलाव की बात कही जा रही है। बहुत बड़ा तबका मुस्लिमों में भी ऐसा है, जो कि कट्टरपंथी मौलवी और धर्म गुरुओं के फतवों को दरकिनार करने लगा है। यूपी में जनसंख्या नियंत्रण बिल को लेकर मुस्लिम तबका बंटा हुआ है, जो मुस्लिम शिक्षित होकर कारोबार या नौकरियों में लगे है वो दो से ज्यादा बच्चे नहीं कर रहे हैं और वो इन बच्चों की शिक्षा दीक्षा में भी कोई समझौता नहीं कर रहे। यानि उन्हें अच्छे से अच्छे स्कूल में पढ़ाने में वो आगे हैं और इसके पीछे वजह मुस्लिम महिलाओं का पढ़ा लिखा होना बताया गया है। बहरहाल यूपी का मुसलमान सामाजिक परिवर्तन के दौर से गुजर रहा है, वो कट्टरपंथी धर्मगुरुओं के बहकावे में न आकर वो राष्ट्र की मुख्यधारा से अपने आप को जोड़ रहा है।
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