इस बार राजनीति के क्षेत्र में कुछ नए शब्दों पर खूब चर्चा रही. पूजा पति और हिन्दुत्ववादी ! चुनावी समर में एक बार फिर से सक्रिय हुए राहुल गांधी ने कहा कि “ज्यादा नहीं हैं, सिर्फ तीन पूजा पति हैं.” दरअसल वो पूंजीपति कहना चाह रहे थे. उसके बाद अपने एक भाषण में राहुल ने कहा कि “ मैं हिन्दू हूं मगर हिन्दुत्ववादी नहीं हूं." राजनीति में हास्य तलाश रहे लोगों को राहुल गांधी ने निराश नहीं किया. लोगों ने कहा कि इतना अक्षर बोध तो होना ही चाहिए. ये तो ठीक उसी तरह हो गया कि व्यक्ति है पर व्यक्तित्व नहीं है.
आश्चर्य है कि अति आत्मविश्वास में कोई व्यक्ति लगातार इतनी गलतियां कर सकता है! राहुल कई बार अपने सलाहकारों की बात को दरकिनार कर इस तरह की गलतियां करते रहने के आदि हो चुके हैं. निश्चित रूप से राहुल के सलाहकारों ने उन्हें उन तीन पूंजीपतियों के बारे में बताया होगा. पूंजीपति शब्द को तोड़ने-मरोड़ने से पहले उन्हें इसका भावार्थ अपने सलाहकारों से समझ लेना चाहिए था मगर जब वो मीडिया के सामने बयान दे रहे थे तब उन्होंने पूंजी पति कहने के बजाय पूजा पति शब्द का उच्चारण किया.
पूरी कांग्रेस पार्टी और स्वयं राहुल गांधी भी इस बात को जानते हैं कि एक गलती होते ही मीडिया और सोशल मीडिया में माखौल बनना शुरू हो जाएगा. लोकसभा में अविश्वास मत पर चर्चा के दौरान वो स्वयं कह चुके हैं "आप लोग मुझे पप्पू कहते हैं, हां मैं पप्पू हूं." वो जब भी दौरे पर निकलते हैं. सिर्फ हास्य की तलाश में मीडिया और सोशल मीडिया पर लोग उन्हें बड़ी जिम्मेदारी से अपलक निहारते हैं. और क्या मजाल है कि राहुल गांधी उन लोगों को मायूस करें.
उनके बयान से उनकी पार्टी कई बार फजीहत झेल चुकी है. यहां तक कि उनकी यूपीए सरकार पर भी ऐसी बन आई कि उस समय के प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की विश्वसनीयता दांव पर लग गई. वर्ष 2013 में कांग्रेस उपाध्यक्ष रहते हुए राहुल गांधी ने एक ऐसा बयान दिया जिससे पूरी यूपीए सरकार मुसीबत में आ गई थी. राहुल ने कहा था कि “ऐसे अध्यादेश को फाड़ कर फेंक देना चाहिए.” जिस अध्यादेश को वे फाड़ने के लिए कह रहे थे. उस अध्यादेश को मनमोहन सिंह की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट बैठक में स्वीकृति दी जा चुकी थी. विदेश दौरे पर गए मनमोहन सिंह ने उस समय कहा था कि भारत लौटने पर वह राहुल गांधी की तरफ से उठाए गए मुद्दों पर कैबिनेट में चर्चा करेंगे.
गत वर्ष मोंटेक सिंह आहलूवालिया ने अपनी एक किताब में खुलासा किया कि यूपीए सरकार में जब वह योजना आयोग के उपाध्यक्ष थे तब राहुल गांधी के उस बयान के बाद मनमोहन सिंह इस्तीफा देना चाहते थे.
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