आलोक गोस्वामी
श्रीलंका से एक चौंकाने वाली खबर आई है। 17 दिसम्बर यानी कल श्रीलंका में चीन के राजदूत क्यूई जेनहोंग ने श्रीलंका की नौसेना—थल सेना की संयुक्त हिफाजत में एडम्स ब्रिज, जिसे हम राम सेतु के नाम से जानते हैं, का दौरा किया है। विशेषज्ञों को आशंका है कि ड्रैगन वहां संभवत: अपने पैसे से निर्माण की आड़ में श्रीलंका में अपनी जड़ें मजबूत करने के साथ ही कोई भारत विरोधी मंसूबा न रच रहा हो।
चीनी राजदूत का ये राम सेतु तक का दौरा आधिकारिक तौर पर श्रीलंका के तमिल बहुल उत्तरी प्रांत का दो दिन का सद्भावना दौरा बताया गया है। लेकिन सवाल है कि क्या यह इतना भरा था! उल्लेखनीय है कि 'एडम्स ब्रिज' या हिन्दुओं का श्रद्धा केन्द्र राम सेतु उत्तर पश्चिमी श्रीलंका तथा भारत में दक्षिणी तट पर तीर्थ नगरी रामेश्वरम के निकट मन्नार स्ट्रेट के बीच मानव निर्मित संरचना है। भूगर्भ और सागर विज्ञानियों ने भी इसकी ऐतिहासिकता और इसके इंसानों द्वारा निर्मित होने पर मुहर लगाई है। नासा के उपग्रह का बड़ा स्पष्ट चित्र भी उपलब्ध है। यही वजह है कि चीन की प्रवृत्ति को देखते हुए चीनी राजदूत के राम सेतु के दौरे पर जाने को लेकर भारत में अनेक लोगों को शंका है।
राम सेतु उत्तर पश्चिमी श्रीलंका तथा भारत में दक्षिणी तट पर तीर्थ नगरी रामेश्वरम के निकट मन्नार स्ट्रेट के बीच मानव निर्मित संरचना है। भूगर्भ और सागर विज्ञानियों ने भी इसकी ऐतिहासिकता और इसके इंसानों द्वारा निर्मित होने पर मुहर लगाई है। नासा के उपग्रह का बड़ा स्पष्ट चित्र भी उपलब्ध है। यही वजह है कि चीन की प्रवृत्ति को देखते हुए चीनी राजदूत के राम सेतु के दौरे पर जाने को लेकर भारत में अनेक लोगों को शंका है।
प्राचीन चट्टानों को जोड़कर बनाया गया यह सेतु 48 किलोमीटर लंबा है। यह मन्नार की खाड़ी और पाक जलडमरूमध्य को बांटता है। चीनी राजदूत इसी राम सेतु के निकट उस जगह तक गए थे, जो श्रीलंका तट से करीब 17 मील दूर है। निकट भविष्य में किसी चीनी राजदूत की उत्तरी जाफना का यह पहला दौरा था। उल्लेखनीय है कि भारत ने पहले यहां चीन की हाइब्रिड एनर्जी सिस्टम परियोजना का कड़ा विरोध किया था जिसके बाद, उस परियोजना का काम बंद कर दिया गया था। श्रीलंका ने तब इस परियोजना का ठेका चीन को दिया था।
लेकिन चीन श्रीलंका में अपना दबदबा बढ़ाने की चाल से बाज नहीं आया है। बता दें कि अभी पिछले ही दिनों श्रीलंका की सरकार ने चीन की एक कंपनी को कोलंबो पोर्ट पर कंटेनर डिपो बनाने का ठेका दिया है। उल्लेखनीय है कि पहले इस डिपो को बनाने का ठेका भारत और जापान को दिया गया था। विशेषज्ञ पहले भी यह कह चुके हैं कि भारत को पीछे छोड़ने के लिए चीन श्रीलंका में अपनी उपस्थिति बढ़ाने के प्रयास करता रहेगा। यह संभवत: भारत को घेरने की चीन की 'स्ट्रिंग आफ पर्ल्स' योजना का एक हिस्सा है।
A Delhi based journalist with over 25 years of experience, have traveled length & breadth of the country and been on foreign assignments too. Areas of interest include Foreign Relations, Defense, Socio-Economic issues, Diaspora, Indian Social scenarios, besides reading and watching documentaries on travel, history, geopolitics, wildlife etc.
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