राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन से उत्तर प्रदेश की ग्रामीण महिलाओं के जीवन स्तर में सुधार हो रहा है. प्रदेश में राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन के अंतर्गत विभिन्न योजनाओं से महिलाएं लाभान्वित हो रही हैं. कोरोना काल में इन स्वयं सहायता समूहों ने बड़े स्तर पर मास्क व पीपीई किट तैयार किए. प्रदेश में स्वयं सहायता समूह के माध्यम से महिलाएं रोजगार की मुख्यधारा से जुड़कर अपने परिवार का भरण पोषण कर रही हैं.
आत्मनिर्भर बनाने की दिशा
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1 लाख 98 हजार से अधिक स्वयं सहायता समूह आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में
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6 हजार रुपए की मासिक आय मास्क निर्माण से समूह सदस्य को औसतन
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2020-21 में स्वयं सहायता समूह की 20,386 सदस्यों द्वारा 1.23 करोड़ मास्क
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1,223 सदस्यों द्वारा 50,714 पीपीई किट का उत्पादन किया
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559 सदस्यों द्वारा 19,921 लीटर सैनिटाइजर का उत्पादन किया
स्वयं सहायता समूह की महिलाओं की ओर से मिशन के अंतर्गत पुलिस, स्वास्थ्य विभाग, पंचायती राज विभाग तथा अन्य विभागों के स्टाफ को मास्क उपलब्ध कराए गए. मास्क निर्माण से समूह की प्रत्येक सदस्य को औसतन 6 हजार रुपए की मासिक आय हो रही है. महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में 1 लाख 98 हजार से अधिक स्वयं सहायता समूह के सदस्यों को ऋण उपलब्ध कराया जा चुका है.
वर्ष 2020-21 में स्वयं सहायता समूह की 20,386 सदस्यों द्वारा 1.23 करोड़ मास्क, 1,223 सदस्यों द्वारा 50,714 पीपीई किट और 559 सदस्यों द्वारा 19,921 लीटर सैनिटाइजर का उत्पादन किया गया. इस वर्ष, समूह की महिलाओं ने 15 लाख से अधिक मास्क का निर्माण किया है.
राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन के निदेशक भानु चन्द्र गोस्वामी ने बताया कि प्रदेश सरकार की लाभकारी योजनाओं की जानकारी ग्रामीण महिलाओं को दी जा रही है. महिलाओं को लघु व्यापार से जोड़ कर उनको रोजगार के नए अवसर उपलब्ध कराए जा रहे हैं. अब महिलाएं अपने आस-पास की महिलाओं को स्वावलंबी बना रही हैं.
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