आखिरकार अमेरिका ने चीन के सिंक्यांग प्रांत में उइगरों को गैरकानूनी रूप से हिरासत में रखनेे और उनका दमन करते हुए जबरन मजदूरी कराने के मुद्दे पर कड़ा पैंतरा दर्शाया है। अमेरिकी कांग्रेस ने 15 दिसम्बर को एक ऐसा कानून बनाने का रास्ता साफ किया है जो जबरिया मजदूरी से बनने वाले सामान को खरीदने पर पूर्ण प्रतिबंध लगा देगा।
चीन किस तरह उइगर मुस्लिमों को प्रताड़ित कर रहा है, यह कोई छुपी बात नहीं है। दुनिया भर में चीन की इस बर्बर हरकत के विरुद्ध आवाज उठ रही है। इन परिस्थितियों में अमेरिका के हाउस ऑफ रिप्रेजेंटेटिव्स ने 'जबरन श्रम रोकथाम अधिनियम' की स्वीकृति देने वाले विधेयक को पारित करके एक उदाहरण सामने रखा है। इस अधिनियम में चीन के सिंक्यांग प्रांत से उइगरों के दमन के बूते बने उत्पादों को अमेरिका को बेचे जाने पर पाबंदी लगाई गई है। 'ब्लूमबर्ग' ने इस पर एक विस्तृत रिपोर्ट प्रकाशित की है। बताया गया है कि अमेरिका की इस कार्रवाई से चीन को आर्थिक तौर पर तगड़ा झटका लग सकता है। आंकड़े बताते हैं कि सिंक्यांग में उइगर मुस्लिमों से न सिर्फ जबरन काम करवाया जाता है, प्रताड़ित किया जाता है, बल्कि उन्हें नाममात्र की मजदूरी दी जाती है।
उल्लेखनीय है कि उइगर मुस्लिमों के दमन पर संयुक्त राष्ट्र का मानवाधिकार कार्यालय जल्दी ही अपनी रिपोर्ट सामने वाला है। मानवाधिकार कार्यालय के प्रवक्ता रूपर्ट कोलविले का कहना है कि संयुक्त राष्ट्र की मानवाधिकार आयुक्त मिशेल बेचलेट के अनुसार, कुछ ही सप्ताह में वह अपनी रिपोर्ट सबके सामने रख देंगी। बेचलेट ने बताया कि एक प्रतिनिधिमंडल के सिंक्यांग जाने का प्रस्ताव एक लंबे अर्से से चीन के अड़ियल रवैए की वजह से अटका पड़ा है। जानकार बताते हैं कि चीन नहीं चाहता कि कोई निष्पक्ष दल सिंक्यांग जाकर असली हालात देखे और दुनिया में चीन की फजीहत करे।
तुर्क नस्ल के उइगर मुस्लिम अल्पसंख्यक चीन के मान्यता प्राप्त 55 अल्पसंख्यक समुदायों में से एक हैं। उइगर मुसलमानों की सबसे घनी आबादी चीन के सिंक्यांग प्रांत में है। उल्लेखनीय है कि चीन में उइगर मुसलमानों के दमन को लेकर चीन के पूर्व अधिकारी जियांग ने कई रहस्य खोले थे। जियांग ने बताया था कि उइगरों को यातना शिविरों में कुर्सी से बांधकर रखा जाता है। पुलिस वाले इन्हें कोड़े से पीटते हैं।
यहां बता हैं कि 10 दिसम्बर को ही अमेरिका ने चीन की सेंसटाइम समूह की 'आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस' कंपनी को निवेश की काली सूची डाला है। सेंसटाइम कंपनी पर आरोप है कि उसका बनाया एक सॉफ्टवेयर उइगर मुस्लिमों की पहचान करता है। दूसरी ओर, कंपनी ने ऐसे तमाम आरोपों को खारिज किया है।
तुर्क नस्ल के उइगर मुस्लिम अल्पसंख्यक चीन के मान्यता प्राप्त 55 अल्पसंख्यक समुदायों में से एक हैं। उइगर मुसलमानों की सबसे घनी आबादी चीन के सिंक्यांग प्रांत में है। उल्लेखनीय है कि चीन में उइगर मुसलमानों के दमन को लेकर चीन के पूर्व अधिकारी जियांग ने कई रहस्य खोले थे। जियांग ने बताया था कि उइगरों को यातना शिविरों में कुर्सी से बांधकर रखा जाता है। पुलिस वाले इन्हें कोड़े से पीटते हैं। उन्हें सोने नहीं दिया जाता है। उइगर पुरुषों ही नहीं बल्कि औरतों के साथ भी पशुओं जैसा व्यवहार किया जाता है।
A Delhi based journalist with over 25 years of experience, have traveled length & breadth of the country and been on foreign assignments too. Areas of interest include Foreign Relations, Defense, Socio-Economic issues, Diaspora, Indian Social scenarios, besides reading and watching documentaries on travel, history, geopolitics, wildlife etc.
टिप्पणियाँ