ताजा जानकारी मिली है कि भारत—चीन के बीच तिब्बत में नियंत्रण रेखा के पास चीनी सेना ने आधी रात को युद्धाभ्यास किया है। और यह युद्धाभ्यास पारंपरिक हथियारों के साथ नहीं, बल्कि घातक जैविक और रासायनिक हथियारों के साथ किया गया है। रक्षा विशेषज्ञों ने चीन की इस हरकत पर हैरानी जताते हुए कहा है कि लद्दाख सीमा पर जारी तनाव के बीच चीन की चालों से और सावधान रहने की जरूरत है।
उल्लेखनीय है कि भारत—चीन संबंध जून 2020 के बाद से अपने सबसे खराब दौर से गुजर रहे हैं। सीमा पर तनाव कम करने के लिए दोनों पक्षों के राजनयिकों और सैन्य अधिकारियों की 13 दौर की बैठकें हो चुकी हैं। लेकिन रिश्तों में खटास कम होने की बजाय बढ़ती ही दिखी है। चीन समय—समय पर तीखे तेवरों के साथ सीमा पर सैन्य हलचलें जारी रखे हुए है।
ऐसे में इस तरह के घातक युद्धाभ्यास की खबर खबरदार करने वाली है। चिंता की बात यह भी है कि आखिर ड्रैगन ने यह अभ्यास आधी रात में ही क्यों किया है! कहीं ऐसा तो नहीं कि वह गुपचुप हमले की तैयारी कर रहा है?
- भारत—चीन के बीच सीमा लद्दाख से अरुणाचल प्रदेश तक, 3,488 किलोमीटर लंबी है
- चीनी सेना के अधिकृत नवंबर के अंत में आयोजित 24 घंटे लंबे अभ्यास
- भारत के रक्षा विशेषज्ञ भारत के नीतिकारों को चीन के प्रति सतर्क रहने का संकेत
चीन की सेना की संयुक्त सैन्य ब्रिगेड ने जैविक, परमाणु रोधी और रासायनिक हथियारों वाला यह सैन्य अभ्यास संवेदनशील और रणनीतिक तौर पर महत्वपूर्ण तिब्बत में किया। यह इलाका तिब्बत में मौजूद चीन की पश्चिमी थिएटर कमांड के अंतर्गत आता है। बता दें कि यह कमांड चीन की पांच कमांड में सबसे बड़ी है। भारत—चीन के बीच सीमा लद्दाख से अरुणाचल प्रदेश तक, 3,488 किलोमीटर लंबी है। चीनी सेना के अधिकृत नवंबर के अंत में आयोजित 24 घंटे लंबे अभ्यास की खबर मंगलवार को एक आधिकारिक पीएलए समाचार पोर्टल में प्रकाशित की गई यह खबर बताती है कि यह युद्धाभ्यास नवम्बर के अंत में हुआ जो 24 घंटे तक चला। हैरानी की बात यह भी है कि चीन का सैन्य मीडिया सशस्त्र बल तथा गैर-पारंपरिक हथियारों वाले युद्धाभ्यास के बारे में ज्यादा कुछ नहीं छापता।
इतना ही नहीं, चीन के सैन्य मीडिया में छपी इस खबर में अभ्यास के तौर—तरीके के साथ ही इसमें शामिल सैनिकों के बारे में भी बताया गया है। खबर बताती है कि तिब्बती सैन्य क्षेत्र कमान के अंतर्गत संयुक्त सैन्य ब्रिगेड ने नवंबर के आखिर में बर्फ ढके पठार पर असल युद्ध का अभ्यास किया है। लिखा है कि अभ्यास में रॉकेट छोड़ने तथा बख्तरबंद हमला करने वाला समूह तैनात किए जाने के बाद, लक्षित संकट पर धमाका करने के लिए सेना के इंजीनियरों को लाया गया था।
माचार में आगे बताया है कि कमांडिंग अफसर ने ‘परमाणु, जैविक तथा रासायनिक हमले’ के बारे में चेताया। आदेश मिलने पर, तीसरी बटालियन का कमांडर ली कुनफेंग ने गैस मास्क पहनकर फौरन जहरीले क्षेत्र का जायजा लेकर कमांड पोस्ट को हालात बताए, फिर उसने रासायनिक रक्षा टुकड़ी से मदद तथा जगह को सैनिटाइज करने की अपील की।
चीनी सेना की हिमाकत इतने पर खत्म नहीं हुई। इस खबर के साथ युद्ध अभ्यास के चित्र दिए गए थे। इनमें एक सैनिक गैस मास्क पहने दिखता है। उल्लेखनीय है कि नवंबर की शुरुआत में अमेरिका के रक्षा विभाग की रिपोर्ट में कहा गया था कि चीन रासायनिक तथा जैविक हथियारों के इस्तेमाल की तकनीक पर शोध कर रहा है।
सूत्रों के अनुसार, भारत—चीन सीमा पर चीन ने बड़ी संख्या में सैनिक तैनात किए हुए हैं, जिनके पास आधुनिकतम हथियार हैं। चीनी सेना के मीडिया के अनुसार, चीन की पीएलए ने तिब्बत तथा शिंजियांग के ऊंचे क्षेत्रों में अपने सैनिकों के रहने की स्थितियों में सुधार किया है। इन सब घटनाक्रमों को देखते हुए भारत के रक्षा विशेषज्ञ भारत के नीतिकारों को चीन के प्रति सतर्क रहने का संकेत करते रहे हैं।
A Delhi based journalist with over 25 years of experience, have traveled length & breadth of the country and been on foreign assignments too. Areas of interest include Foreign Relations, Defense, Socio-Economic issues, Diaspora, Indian Social scenarios, besides reading and watching documentaries on travel, history, geopolitics, wildlife etc.
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