राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग ने मध्य प्रदेश के जबलपुर में अनाथ बच्चियों का कन्वर्जन करने वाले एनजीओ का पर्दाफाश किया है। गोपनीय शिकायत पर आयोग की टीम ने करुणा नवजीवन रिहैबिलिटेशन सेंटर का निरीक्षण किया था, जहां अनाथ बच्चियों को जबरन ईसाई बनाया जा रहा था। आयोग के निर्देश पर जिला कार्यक्रम अधिकारी एवं जिला बाल संरक्षण अधिकारी ने एनजीओ के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज कराई है।
पुलिस के अनुसार, राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग के सदस्य दविन्द्र मोरे की अगुवाई में टीम ने 14 दिसंबर को एनजीओ के खिलाफ मिली शिकायत की जांच की थी। जांच के दौरान टीम ने पाया कि आश्रय गृह में 7-11 वर्ष और 12-18 वर्ष की लड़कियों को एक साथ रखा जा रहा था। आयोग ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि 18 वर्ष से कम उम्र के बच्चों को नाबालिग बच्चों से अलग रखा जाना चाहिए। लेकिन यहां दोनों आयु वर्ग के बच्चों को एक ही परिसर में रखा जा रहा था। इसके अलावा, यह आश्रय गृह किशोर न्याय अधिनियम के तहत पंजीकृत भी नहीं है। रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि बच्चियों को ईसाइयत का पाठ पढ़ाया जा रहा था। उनसे जबरन ईसाई मत के अनुसार प्रार्थना कराई जाती थी और बाइबिल पढ़ने के लिए मजबूर किया जा रहा था। टीम ने बच्चियों की काउंसिलिंग भी की, जिसमें लड़कियों ने बताया कि वे अपने धर्म के बारे में जानती हैं। लेकिन संस्था में उन्हेंं अपने मूल धर्म के बारे में कुछ नहीं बताया जाता था। यही नहीं, संस्था ने स्कूल और आधार कार्ड पर बच्चियों के नाम में सालोमन उपनाम जोड़ दिया है।
पुलिस ने संस्था के संचालकों पर किशोर न्याय अधिनियम-2015, धार्मिक स्वतंत्रता अध्यादेश-2020 और किशोर न्याय अधिनियम-2016 के तहत मामला दर्ज किया है। आयोग की रिपोर्ट पर आयुक्त कर्मवीर शर्मा ने एसपी को मामले में कार्रवाई के लिए कहा था। इसके बाद प्राथमिकी दर्ज की गई। साथ ही आयोग के निर्देश पर बच्चियों को दूसरी जगह भेज दिया गया है।
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