चीन की महत्वाकांक्षी परियोजना बीआरआई पर आई एक थिंक टैंक की रिपोर्ट हैरान करने वाली भी है तो चीन के पसीने छुड़ाने वाली भी। रिपोर्ट बताती है कि 2019 के बाद से पहली बार बीआरआई परियोजना में निवेश में बेहद कम देखने में आया है। अमेरिका सहित यूरोप के तमाम देशों के निशाने पर रही चीन की दुनिया के बाजार पर छा जाने की यह परियोजना डगमगा रही है। चीन इसके माध्यम से दुनिया में अपना दबदबा बढ़ाने की कोशिश में जुटा हुआ है, लिहाजा निवेश में इस गिरावट को चीन के लिए तगड़े झटके के तौर पर देखा जा रहा है।
चीन की इस महत्वाकांक्षी परियोजना में ढांचागत और कर्जे को लेकर भी काफी बातें सुनने में आई हैं। संभवत: निवेश में इस वजह से आई कमी के चलते ही चीन अफ्रीका में परियोजनाओं के लिए नकद पैसा तक नहीं दे पा रहा है। यह बीआरआई परियोजना अरबों डॉलर की परियोजना है, जिसका उद्घाटन 2013 में चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने तब किया था जब वे सत्ता में आए थे। परियोजना का मकसद है दक्षिण-पूर्व एशिया, मध्य एशिया, खाड़ी इलाके, अफ्रीका और यूरोप को सड़क व समुद्री मार्गों के एक तानेबाने के जरिए आपस में जोड़ना।
निवेश में गिरावट की जानकारी देने वाली यह रिपोर्ट चीन के ही थिंक टैंक 'ग्रीन बीआरआई' ने प्रकाशित की है। उल्लेखनीय है कि बीजिंग स्थित यह थिंक टैंक बुनियादी ढांचों के क्षेत्र में दुनिया में होने वाली पहलों पर नजर रखता है। इस थिंक टैंक का अध्ययन बताता है कि बीआरआई परियोजना में भागीदार 138 देशों की हिस्सेदारी वाले निवेश में 2019 के बाद से 47 अरब डॉलर यानी 54 प्रतिशत की गिरावट दर्ज की गई है।
उल्लेखनीय है कि गत जून माह में अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन की तरफ से 'बिल्ड बैक बेटर वर्ल्ड' परियोजना की शुरुआत के बाद, चीन अपनी बीआरआई परियोजना के स्वरूप को बदलने की कोशिश में है। हाल ही में यूरोपीय संघ ने भी बीआरआई के साथ टक्कर लेती 340 अरब डॉलर की लागत का 'ग्लोबल गेटवे इनीशिएटिव' आरम्भ किया है।
'ग्रीन बीआरआई' थिंक टैंक की रिपोर्ट कहती है कि चीन 2013 से अफ्रीका में जबरदस्त निवेश कर रहा है और अपना असर बढ़ा रहा है। लेकिन मौजूदा हालात में वह वहां भी नकद पैसा नहीं दे पा रहा है। इसकी वजह बताया जा रहा है कर्ज में दबे अफ्रीका में कोरोना वायरस महामारी की वजह से सामने आईं बड़ी समस्याएं।
'ग्रीन बीआरआई' थिंक टैंक की रिपोर्ट कहती है कि चीन 2013 से अफ्रीका में जबरदस्त निवेश कर रहा है और अपना असर बढ़ा रहा है। लेकिन मौजूदा हालात में वह वहां भी नकद पैसा नहीं दे पा रहा है। इसकी वजह बताया जा रहा है कर्ज में दबे अफ्रीका में कोरोना वायरस महामारी की वजह से सामने आईं बड़ी समस्याएं।
यहां यह जानकारी देना समीचीन होगा कि 2000 से 2020 के बीच, अफ्रीकी देशों ने चीन के पैसे से 13,000 किलोमीटर सड़कें और रेलवे पटरियों बिछाई हैं। इन कामों में बड़े पैमाने के 80 बिजली केंद्र भी सम्मिलित हैं। इतना ही नहीं, इन देशों में 130 से ज्यादा मेडिकल केंद्र, 45 खेल परिसर और 170 से ज्यादा स्कूल चीन के पैसों पर खड़े हुए हैं।
A Delhi based journalist with over 25 years of experience, have traveled length & breadth of the country and been on foreign assignments too. Areas of interest include Foreign Relations, Defense, Socio-Economic issues, Diaspora, Indian Social scenarios, besides reading and watching documentaries on travel, history, geopolitics, wildlife etc.
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