प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने आज विश्वनाथ कॉरिडोर धाम का लोकार्पण किया। उन्होंने कहा, 'बाबा के धाम में लोगों को दर्शन के लिए घंटों इंतजार करना पड़ता था। पहले बाबा का धाम तीन हजार वर्गफीट में था। अब 5 लाख वर्ग फीट में है। बाबा के दरबार में एक साथ 50 हजार लोग आ सकते हैं। पहले कुछ राजनीति भी थी और स्वार्थ भी था, इसलिए बनारस पर आरोप लगाये जाते थे। मगर काशी तो काशी है, काशी तो अविनाशी है, जहां गंगा अपनी धारा बदलती हों, उस काशी को कौन रोक सकता है। बाबा ने स्वयं कहा है कि मेरी इच्छा के बगैर कोई काशी में नहीं आ सकता है।'
प्रधानमंत्री ने कहा कि बाबा का ये शाश्वत धाम है। जैसे ही कोई काशी में प्रवेश करता है, सारे बंधन से मुक्त हो जाता है। एक अलौकिक ऊर्जा हमारे अन्दर जागृत हो रही है। आज आदि काशी की एक अलग आभा है, एक अलग सामर्थ्य दिख रहा है। शास्त्रों में वर्णन है कि जब कोई पुण्य अवसर आता है, संसार की सारी शक्तियां बाबा के आस-पास उपस्थित हो जाती हैं। ऐसा ही अनुभव बाबा के दरबार में हो रहा है। आज भगवान शिव का दिन है। आज सोमवार है। आज विक्रम संवत २०७८, दशमी तिथि एक नया इतिहास रच रही है। हमारा सौभाग्य है कि हम इस तिथि के साक्षी बन रहे हैं।
पीएम ने कहा कि आज बाबा का धाम अनंत ऊर्जा से भरा हुआ है। यहां आस-पास अनेक प्राचीन मंदिर लुप्त हो गए थे। उन्हें भी फिर से स्थापित किया जा चुका है। सदियों की सेवा से आज बाबा प्रसन्न हुए हैं। बाबा ने आज के दिन का हमें आशीर्वाद दिया है। यह एक भवन ही नहीं है, यह प्रतीक है भारत की प्राचीनता का। आप जब यहां आएंगे तो आपको अपने अतीत के गौरव का एहसास भी होगा। बाबा के धाम में प्राचीनता और नवीनता एकसाथ सजीव हो रहे हैं।
श्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि उत्तरवाहिनी होकर गंगा, बाबा के पांव पखारने काशी आती हैं। वो गंगा भी आज प्रसन्न हैं। जब मां गंगा प्रसन्न होंगी तभी हम गंग और तरंग का दिव्य अनुभव कर सकेंगे। मां गंगा सबकी हैं। उनका आशीर्वाद सबके लिए है। बाबा सबके हैं। उनका आशीर्वाद सभी के लिए है। बुजुर्गों और दिव्यांगों को बाबा के धाम में आने में कठिनाई होती थी। अब कोई दिक्कत नहीं होने पाएगी।
उन्होंने कहा कि हर भारतीय की भुजा में वह ताकत है, जो अकल्पनीय को साकार कर सकती है। "कोई कितना बड़ा होई, अपने घरे का होई." मेरी काशी आगे बढ़ रही है। काशी के बारे में जितना बोलता हूं। उतना डूबता जाता हूं। काशी, जहां सत्य ही संस्कार है , जहां प्रेम ही परंपरा है। काशी, जीवत्व को शिवत्व से जोड़ती है।
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