गत दिनों झारखंड सरकार द्वारा राज्य विधानसभा में नमाज कक्ष के आवंटन के बाद उठे विवाद को समाप्त करने के लिए जो समिति बनाई गई थी, वह अब तक किसी निर्णय पर नहीं पहुंची है। अब समिति की अवधि भी समाप्त हो गई है। समिति को तीन महीने के अंदर अपनी रिपोर्ट देनी थी, लेकिन ऐसा नहीं हो पाया है। अब कहा जा रहा है कि विधानसभा अध्यक्ष से समिति की अवधि बढ़ाने का अनुरोध किया जाएगा।
उल्लेखनीय है कि अगस्त महीने में झारखंड सरकार ने मुसलमान विधायकों के लिए विधानसभा के अंदर नमाज के लिए एक कक्ष का आवंटन किया था। मुख्य विपक्षी दल भाजपा ने इसका जबर्दस्त विरोध किया था। इस कारण विधानसभा का पिछला सत्र सुचारू ढंग से चल नहीं पाया था। विवाद को सुलझाने के लिए नौ सितंबर को सदन की कार्यवाही के दौरान सत्तारूढ़ झामुमो के विधायक डॉ. सरफराज अहमद ने एक समिति बनाने का सुझाव दिया था। इसके बाद विधानसभा अध्यक्ष रबींद्र नाथ महतो ने समिति बनाने की घोषणा की थी। इसके संयोजक हैं प्रो. स्टीफन मरांडी। समिति के सदस्यों में भाजपा के नीलकंठ सिंह मुंडा, कांग्रेस से दीपिका पांडेय सिंह और प्रदीप यादव, आजसू पार्टी से लंबोदर महतो और भाकपा माले के विनोद कुमार सिंह शामिल हैं। नीलकंठ सिंह मुंडा ने बताया कि अब तक समिति की केवल एक बैठक हुई है। उसमें निर्णय लिया गया था कि पड़ोसी राज्यों में इस मामले में क्या प्रावधान है, उसकी रिपोर्ट मंगाई जाए। अभी तक वह रिपोर्ट नहीं आई है। आने के बाद फिर से बैठक होगी।
वहीं भाजपा ने कहा है कि 16 दिसंबर से शुरू होने वाले विधानसभा के शीतकालीन सत्र में इस मुद्दे को फिर से उठाया जाएगा। कुछ लोगों को यह भी कहना है कि समिति जानबूझकर निर्णय लेने में देरी कर रही है।
टिप्पणियाँ