कृषि कानूनों और अन्य मांगों को लेकर आंदोलनरत किसान संगठनों को सरकार की ओर से बाकी बची मांगों को लेकर आश्वासन भरा पत्र प्राप्त हुआ है। केन्द्र सरकार पहले ही तीनों कृषि कानूनों को संसद में विधेयक लाकर रद्द कर चुकी है। ऐसे में संयुक्त किसान मोर्चा ने भी आंदोलन समाप्ति की घोषणा करते हुए 11 दिसंबर को दिल्ली की सीमाओं से आंदोलनकारियों के हटने की घोषणा की है। संयुक्त किसान मोर्चा के नेताओं को प्राप्त पत्र के मुताबिक केंद्र सरकार ने किसानों को एमएसपी पर कानूनी गारंटी और पुलिस केस वापस लेने का आश्वसन दिया है। सरकार से मिले लिखित आश्वासन के बाद किसानों ने सिंघु बार्डर से अपने टेंट उखाड़ने शुरू कर दिए हैं।
किसानों के खिलाफ दर्ज मामले होंगे वापस
जहां तक किसानों को आंदोलन के वक्त केसों का सवाल है, उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश, मध्य प्रदेश और हरियाणा सरकार ने इसके लिए पूर्णतया सहमति दी है कि तत्काल प्रभाव से आंदोलन संबंधित सभी केसों को वापस लिया जाएगा। किसान आंदोलन के दौरान भारत सरकार के संबंधित विभाग और एजेंसियों तथा दिल्ली सहित सभी संघ शासित क्षेत्र में आंदोलनकारियों और समर्थकों पर बनाए गए आंदोलन संबंधित सभी केस भी तत्काल प्रभाव से वापस लेने की सहमति है। भारत सरकार अन्य राज्यों से अपील करेगी कि इस किसान आंदोलन से संबंधित केसों को अन्य राज्य भी वापस लेने की कार्रवाई करें।
बिजली बिल पर निर्णय
बिजली बिल में किसान पर असर डालने वाले प्रावधानों पर पहले सभी स्टेकहोल्डर्स/ संयुक्त किसान मोर्चा से चर्चा होगी। मोर्चा से चर्चा होने के बाद ही बिल संसद में पेश किया जाएगा।
वादे पूरे नहीं हुए तो दोबारा होगा आंदोलन
इसी बीच संयुक्त किसान मोर्चा का बयान आया कि वह 11 दिसंबर से अपना आंदोलन समाप्त कर रहे हैं। इस संबंध में 15 जनवरी को एक समीक्षा बैठक होगी। इसमें सरकार के वायदे कितने अमल पर आए इस पर विचार होगा। अगर वायदे पूरे नहीं होते दिखाई दिए तो दोबारा आंदोलन किया जाएगा। दिल्ली में संयुक्त किसान मोर्चा की बैठक के बाद किसान नेता गुरनाम सिंह चढ़ूनी ने कहा कि हमने अपना आंदोलन स्थगित करने का फैसला किया है। हम 15 जनवरी को एक समीक्षा बैठक करेंगे। अगर सरकार अपने वादे पूरे नहीं करती है, तो हम अपना आंदोलन फिर से शुरू कर सकते हैं। वहीं किसान दर्शन पाल सिंह ने कहा कि प्रदर्शनकारी किसान 11 दिसंबर तक धरना स्थल खाली करेंगे।
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