जन्मभूमि से था असीम प्रेम, पैतृक गांव में बसना चाहते थे जनरल रावत
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जन्मभूमि से था असीम प्रेम, पैतृक गांव में बसना चाहते थे जनरल रावत

by उत्तराखंड ब्यूरो
Dec 9, 2021, 07:20 pm IST
in भारत, उत्तराखंड
जनरल रावत अपने गांव में - फाइल फोटो

जनरल रावत अपने गांव में - फाइल फोटो

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उत्तराखंड से था जनरल बिपिन रावत का लगाव। पौड़ी जिले के गांव सैणा-बिरमोली गांव में सन्नाटा पसरा हुआ है। यहीं भारत के पहले सीडिएस जनरल बिपिन रावत का जन्म हुआ। उनके चाचा भरत सिंह रावत आज भी गांव में रहते हैं। देहरादून में भी बन रही थी कोठी।

पौड़ी जिले के गांव सैणा-बिरमोली गांव में सन्नाटा पसरा हुआ है। यहीं भारत के पहले सीडिएस जनरल बिपिन रावत का जन्म हुआ। उनके चाचा भरत सिंह रावत आज भी गांव में रहते हैं। जनरल रावत 2018 में जब अपने गांव आए तो यहां जश्न का माहौल था। उन्होंने यहां पूजा-अर्चना भी की और अपना मकान बनाकर यहीं बसने की इच्छा परिवार जनों से व्यक्त की थी। उनका देहरादून में भी आवास बनना शुरू हो गया था। रावत के हेलीकॉप्टर के दुर्घटनाग्रस्त की खबर आते ही बिरमोली का बाजार बंद हो गया और सभी गांववासी उनके चाचा भरत सिंह रावत के घर एकत्र हो गए।

सीडिएस जनरल बिपिन रावत

जनरल रावत के चाचा भरत सिंह रावत ने बताया कि उन्हें फोन पर खबर मिली तो वह घर चले आये। उन्होंने कहा कि गांव तक सड़क नहीं थी। अप्रैल 2018 में जब बिपिन रावत यहां आए तो गांव में हेलीपैड बनाया गया था। यहां से ही उन्होंने मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत से गांव तक करीब पांच किमी सड़क बनाने का अनुरोध किया था। जिसे सरकार ने स्वीकार कर लिया था, सड़क बनने भी लगी है और हमें उम्मीद थी कि वह इस बार सड़क मार्ग से आएंगे, लेकिन जो हुआ इसकी उम्मीद नहीं थी।

भरत सिंह रावत

शुरुआती शिक्षा देहरादून से हुई

भरत रावत किसी काम से कोटद्वार गए थे। सीडीएस रावत के निधन की खबर सुनकर वह वापस लौट आए। हृदयविदारक घटना से पूरे गांव में सन्नाटा पसर गया। जनरल रावत के पिता लक्ष्मण सिंह रावत सेना से लेफ्टिनेंट जनरल पद से रिटायर हुए थे। बिपिन रावत की शुरुआती शिक्षा देहरादून के कैम्ब्रियन हॉल स्कूल में हुई। इसके बाद उन्होंने शिमला के सेंट एडवर्ड स्कूल में पढ़ाई कर आईएमए देहरादून में दाखिला लिया, जहां वह बेस्ट कैडेट चुने गए।

 

जनरल रावत पूजा करते हुए -फाइल फोटो

ऊंचे पहाड़ों पर युद्ध करने में थी महारत
जनरल रावत ने सेना के हर प्रशिक्षण संस्थान से एडवांस कोर्स किया। उन्हें ऊंचे पहाड़ों पर युद्ध करने का विशेषज्ञ माना जाता था। सयुंक्त राष्ट्र की शांति सेना में भी वह अपनी सेवाएं देकर आए थे। 2016 से 2019 तक वे थल सेना प्रमुख रहे। उसके बाद वह देश के पहले चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ के पद पर रहे। जनरल रावत अपने कार्यकाल में कई बार बदरी-केदार, गंगोत्री-यमुनोत्री दर्शन के लिए सपरिवार आते रहे। गांव में भी वह जब भी आए अपनी कुल देवी और ग्राम देवता की भी पूजा की। जनरल रावत को हिमालय से लगाव था। उन्होंने पूर्व जनरल विपिन चन्द्र जोशी के पहाड़ों पर इको टास्क फोर्स के जरिये हर साल हजारों पेड़ लगाने के अभियान को और धार देते हुए इसकी बराबर समीक्षा की।

युवाओं के अभिभावक

सेना में भर्ती के लिए उन्होंने उत्तराखंड के युवाओं को हमेशा अभिभावक की तरह प्रोत्साहित किया। सेना में भर्ती के लिए 162 सेमी लम्बाई जरूरी होती है, लेकिन उत्तराखंड के युवाओं को 5 सेंटीमीटर की छूट दिए जाने का प्रावधान उन्होंने ही सुनिश्चित किया। उनका तर्क था कि पहाड़ में युवाओं की लंबाई कम होती है। ये यहां की वंशानुगत समस्या थी, जिसका समाधान उन्होंने किया था।

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गवर्नर गुरमीत और मुख्यमंत्री के साथ- फाइल फोटो

राज्यपाल ने कहा, 50 वर्षों तक रहा दोस्त बिछड़ गया
उत्तराखंड के राज्यपाल लेफ्टिनेंट जनरल (सेवा निवृत) स. गुरमीत सिंह ने कहा कि हम 50 साल से दोस्त रहे। एनडीए से साथ पासआउट हुए। कश्मीर से लेकर देश के विभिन्न मोर्चों पर हमने साथ-साथ काम किया। पिछले दिनों राज्य स्थापना दिवस पर बिपिन रावत देहरादून में राजभवन में अचानक रक्षा राज्य मंत्री अजय भट्ट जी के साथ पहुंचे। इस दौरान पुरानी यादें भी ताजा हुईं। हमारी पेशेवर और निजी जिंदगी की पारिवारिक स्मृतियां हैं। वह निडर और जोखिम लेने वाले अफसर थे।

रक्षा राज्यमंत्री अजय भट्ट ने कहा, निडर अफसर का जीवन रहा जनरल रावत का

रक्षा राज्यमंत्री अजय भट्ट ने कहा कि उत्तराखंड के सपूत जनरल बिपिन रावत को देश-दुनिया में एक निडर अफसर के रूप में जाना जाता था। उनकी उपलब्धियों ने ही उन्हें सैन्य प्रमुख बनाया। तीनों सेनाओं के बीच तालमेल और रक्षा जरूरतों के बारे में रोज हर पल सोचते रहने से हमारी सेना हमारे सैनिकों का मनोबल ऊंचा रखती थी। भट्ट ने कहा कि सीमांत इलाकों की चिंता करना, वहां के लोगों के लिए रोजगार और अन्य सुविधाओं के बारे में उनके दिए सुझावों पर सरकार काम कर रही है। उन्होंने कहा सीडीएस रावत दुश्मनों को उन्हीं की भाषा में जवाब देना जानते थे।

 

मुख्यमंत्री पुष्कर धामी ने घोषित किया 3 दिन का राजकीय शोक
जनरल बिपिन रावत के निधन की खबर आते ही मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने अपने मंत्रियों और वरिष्ठ अधिकारियों के साथ बैठक की। उन्होंने जनरल रावत श्रद्धांजलि देते हुए राज्य में तीन दिनों तक शोक की घोषणा की। मुख्यमंत्री धामी ने कहा कि देश ने एक निडर योद्धा खोया है, पूरे राज्य की जनता स्तब्ध है। हम इस दुःख की घड़ी में जनरल साहब के परिवार के साथ खड़े हैं। जनरल रावत उत्तराखंड में अपने पैतृक गांव में ही बसना चाहते थे। वह अपनी मातृभूमि से प्रेम करते थे, जब भी मिले उन्होंने राज्य में सीमांत क्षेत्रों के बारे में बात की। धामी ने बताया कि तीन दिनों तक राज्य में राष्ट्रध्वज आधा झुका रहेगा और कोई सार्वजनिक कार्यक्रम नहीं किए जाएंगे।

जनरल बिपिन रावत के निधन पर संत समाज आहत
संत समाज मे भी शोक
हरिद्वार में अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष श्री रविन्द्र पुरी ने कहा कि देश के वीर सपूत के आकस्मिक निधन से संत समाज आहत है। हम उनके और उनके वीर साथियों के प्रति गहरी संवेदना प्रकट करते हैं।
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