मेरठ के चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय से सीडीएस जनरल विपिन रावत का गहरा रिश्ता रहा है। उन्होंने प्रोफेसर हरवीर सिंह के सानिध्य में अपनी पीएचडी पूरी की थी। इस दौरान वे दो बार विश्वविद्यालय भी आए थे।
सिविल लाइन्स में रह रहे प्रोफेसर हरवीर सिंह (81) ने जब बिपिन रावत के साथ हुए हादसे की खबर सुनीं तो उनकी आंखें भर आईं। उन्होंने बताया कि जनरल रावत को पढ़ने का शौक था। वह डिफेंस के एडवांस कोर्स करते-करते अपनी प्रतिभा के दम पर जनरल बने फिर देश के पहले सीडीएस बने। वह जब हापुड़ के एसएसवी कॉलेज में नियुक्त थे तब विपिन रावत से संपर्क हुआ था।
प्रोफेसर हरवीर सिंह
उस समय वह सेना मुख्यालय दिल्ली में मेजर जनरल के पद पर थे। उन्होंने बताया कि पहली मुलाकात में उनकी शोध जिज्ञासा को देखते हुए मैंने उन्हें अपनी स्वीकृति दे दी। दो साल में उन्होंने "मिलिट्री मीडिया स्ट्रैटजिक अप्रेजल ऑफ द कश्मीर वैली" विषय पर 2011 में शोध पत्र पूरा कर मुझे सौंप दिया था।
प्रोफेसर हरवीर सिंह ने कहा कि बिपिन रावत अच्छे सैन्य अधिकारी होने के साथ-साथ अच्छे विद्यार्थी भी थे। वह हमेशा गुरु-शिष्य परंपरा के साथ मिले।
उन्होंने बताया कि जनरल रावत पीएचडी के दौरान दो बार वायवा के लिए विश्वविद्यालय भी आए। एक बार मेरे आवास पर भी आए। उनके निधन से मैं स्तब्ध हूं।
विश्वविद्यालय में रक्षा अध्ययन विभाग के प्रमुख डॉ हेमंत पांडेय ने कहा कि हमें गर्व है कि देश के पहले सीडीएस जनरल बिपिन रावत के आगे लिखा "डॉक्टर" शब्द मेरठ विश्वविद्यालय से जुड़ा। उनके निधन से हम सदमे में हैं।
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