मेरठ में जयंत चौधरी और अखलेश सिंह की सयुंक्त जनसभा में भीड़ की अराजकता ने सारे बैरियर तोड़ डाले। बाद में ककराखेड़ा रोड पर सपा और लोकदल कार्यकर्ताओ में जमकर लात घूंसे और लट्ठ चले। पुलिस ने बड़ी मुश्किल से बीच-बचाव कर दोनों पक्षों को अलग किया।
पश्चिम यूपी में लोकदल और समाजवादी पार्टी का आपसी समझौता अखिलेश सिंह और जयंत चौधरी को तो राहत दे सकता है, लेकिन जमीनी तौर पर पार्टी का झंडा डंडा उठाने वाले कार्यकर्ताओं को बिल्कुल भी रास नहीं आ रहा। मेरठ में हुई दोनों नेताओं की रैली में अराजकता हर तरफ दिखाई दे रही थी, पार्टी नेता ये कह रहे थे कि ये वर्कर्स का जोश है, जबकि हकीकत ये थी कि दोनों दलों के कार्यकर्ताओं में इस गठबंधन को लेकर गुस्सा था। ये गुस्सा सड़कों पर उस समय सामने आ गया, जब ककराखेड़ा रोड पर दोनों दलों के कार्यकर्ताओं में आपसी कहासुनी के बाद लात-घूंसे और डंडे चलने लगे।
पुलिस जब तक मौके पर पहुंचती, तब तक पत्थरबाजी हो चुकी थी, आपसी गाली गलौज और मारपीट पर उतारू लोगों पर नियंत्रण पाने के पुलिस को खासी मशक्कत करनी पड़ी। करीब दो घंटे बाद पुलिस को दोनों दलों के कार्यकर्ताओं को एक-दूसरे से छुड़ाकर अपने-अपने स्थानों पर भेजा। दरअसल, सपा कार्यकर्ताओं में ज्यादातर मुस्लिम थे और लोकदल कार्यकर्ता जाट बिरादरी से थे। दोनों जब भिड़े तो वहां हालात साम्प्रदायिक से हो गए, पुलिस को इस बात का डर सताने लगा था कि कहीं माहौल और न बिगड़ जाए। बहरहाल दुष्यंत और अखिलेश की रैली निपट गई, लेकिन दोनों पार्टी के कार्यकर्ताओं की पोल भी खोल गई।
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