इन दिनों झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन अपने पिता शिबू सोरेन के रांची स्थित सरकारी आवास को संग्रहालय में तब्दील करवा रहे हैं। इसके लिए पांच करोड़ रु. खर्च होगा और काम को छह महीने के अंदर पूरा करने का लक्ष्य रखा गया है। इसके साथ ही राज्य सरकार अपने 11 मंत्रियों के लिए आधुनिक सुख—सुविधाओं से सुसज्जित बंगले भी बनवा रही है। इसके लिए 65 करोड़ रु. खर्च होंगे। मंत्रियों के परिवार वालों के लिए भी राज्य सरकार बहुत कुछ कर रही है। उनके लिए क्लब हाउस, इनडोर स्विमिंग पूल, जिम चिल्ड्रन प्ले ग्राउंड, लाउंज और वॉलीबॉल कोर्ट जैसी सुविधाएं उपलब्ध कराई जा रही हैं।
हालांकि इसी झारखंड में उन लोगों के परिवार वालों के लिए किसी तरह की सुविधा नहीं है, जिन्होंने इस देश के लिए अपना सब कुछ न्योछावर कर दिया था। उदाहरण के तौर पर भगवान बिरसा मुंडा, अल्बर्ट एक्का आदि महापुरुषों के वंशजों को ले सकते हैं। बिरसा मुंडा की बहादुरी का लोहा तो अंग्रेज भी मानते थे। इस कारण अंग्रेजों ने उन्हें जेल में डाल दिया था। वहीं परमवीर चक्र से सम्मानित अल्बर्ट एक्का ने 1971 के भारत और पाकिस्तान युद्ध में अपने अदम्य साहस का परिचय दिया था। आज इन दोनों के वंशज बहुत ही अभावपूर्ण जीवन जी रहे हैं। कई बार इनकी खबरें भी प्रकाशित होती हैं। इसके बावजूद राज्य सरकार इन लोगों के लिए कुछ नहीं करती है।
भाजपा के प्रदेश प्रवक्ता प्रतुल शाहदेव ने कहा है कि एक तरफ सरकार पैसों की कमी का रोना रोती रहती है। सरकार कहती है कि उसके पास वेंटिलेटर, दवा और अन्य ज़रूरी चीजें खरीदने के पैसे नहीं हैं, वहीं दूसरी तरफ करोड़ों रु. खर्च कर मंत्रियों के लिए बंगले बनवाए जा रहे हैं। जो पैसा जनता के लिए खर्च होना चाहिए, उसे मंत्रियों पर खर्च किया जा रहा है। सरकार को ऐसी फिजूलखर्ची से बचना चाहिए।
वहीं एक अन्य रिपोर्ट के अनुसार झारखंड के सबसे बड़े अस्पताल रांची के रिम्स में कार्यरत रक्त बैंक के लिए राज्य सरकार ने शुल्क तय कर दिया है, जबकि इससे पहले इस बैंक में जरूरतमंदों से किसी तरह का शुल्क नहीं लिया जाता था।
दस वर्षों से पत्रकारिता में सक्रिय। राजनीति, सामाजिक और सम-सामायिक मुद्दों पर पैनी नजर। कर्मभूमि झारखंड।
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