गत 27 नवंबर को काशी में ‘स्वाधीनता से स्वतंत्रता की ओर’ कार्यक्रम का आयोजन हुआ। इस अवसर पर प्रज्ञा प्रवाह के अखिल भारतीय संयोजक श्री जे. नंदकुमार ने कहा कि 1947 की मध्य रात्रि में स्वराज मिला, स्वतंत्रता नहीं मिली। भारत के सभी लोग अपने दायित्व का निर्वहन राष्ट्रहित में करें, स्वाधीनता अवश्य प्राप्त होगी।
कार्यक्रम का आयोजन अमृत महोत्सव आयोजन समिति, काशी हिंदू विश्वविद्यालय द्वारा किया गया था। उन्होंने कहा कि हर क्षेत्र में स्वतंत्रता के लिए कार्य हुआ। महामना जी ने विश्वविद्यालय रूपी तीर्थ बनाया है। यह भी शिक्षा के क्षेत्र में स्वतंत्रता संग्राम है। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ पूर्वी उत्तर प्रदेश क्षेत्र के कार्यवाह डॉ. वीरेंद्र जायसवाल ने कहा कि प्राचीन समय में न्यायशास्त्र हमारा धर्म हुआ करता था।
सिकंदर जो भारत में प्रवेश नहीं कर पाया, उसे कुछ लोग विश्व विजेता बताते हैं। वर्तमान में भी हम बातचीत, पहनावे, संस्कार में पराधीन हैं। इस अवसर पर ‘एक मंच-एक स्वर’ का आयोजन किया गया। इस दौरान डॉ. ज्ञानेश चंद्र पांडेय एवं प्रो. बाला लखेंद्र के संयुक्त संयोजन में एक मंच पर एक स्वर में संगीत एवं मंच कला संकाय के 75 विद्यार्थियों द्वारा कुलगीत एवं वन्देमातरम् की प्रस्तुति दी गई।
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