बिहार के प्रसिद्ध तीर्थस्थल गया में कुछ छात्रों द्वारा एक बैंक का संचालन किया जा रहा है। इस बैंक में विभिन्न विद्यालयों में पढ़ने वाले छात्र अपनी जेब खर्च बचाकर जमा करते हैं।
हम और आप आएदिन किसी ने किसी काम से किसी बैंक में जाते हैं। यानी बड़ों के लिए बैंक जाना, वहां कोई काम करना या और उसके संचालन में सहयोग करना कोई बड़ी बात नहीं है। बड़ी बात तब होती है, जब बच्चे किसी बैंक को चला रहे हों और उसमें बच्चे ही पैसा जमा करते हों। विभिन्न विद्यालयों में पढ़ने वाले छात्र अपने जेब खर्च को बचाकर इसमें जमा करते हैं और जब भी जरूरत होती है बैंक से उधार लेकर पुस्तक, कॉपी, कलम, पेसिंल आदि खरीदते हैं। इस कारण ये बच्चे हर बात के लिए अपने माता—पिता से पैसे नहीं मांगते हैं। इन बच्चों को कभी अधिक पैसे की जरूरत होती है तो ये लोग बैंक से बिना ब्याज ऋण भी लेते हैं।
इस बैंक की स्थापना के पीछे राजकीय मध्य विद्यालय, डिहुरी के प्रधानाध्यापक वीरेंद्र कुमार हैं। उन्होंने बताया कि बैंक का मुख्य उद्देश्य है ऐसे बच्चों की मदद करना, जो पाठ्य सामग्री नहीं खरीद पाते हैं। उन्होंने यह भी कहा कि बहुत सारे बच्चों को उनके माता—पिता जेब खर्च देते हैं और वे बच्चे खाने की कुछ चीजें खरीदकर पैसा खत्म कर देते हैं। ऐसे बच्चों को गरीब बच्चों के बारे में बताया गया और उन्हें प्रेरित किया गया कि जेब खर्च में से कुछ बचाकर इस बैंक में जमा करोगे तो हर बच्चे के पास पुस्तक और पढ़ने की अन्य चीजें आ जाएंगी। इस बात से बच्चे बहुत प्रभावित हुए और वे लोग जेब खर्च बचाकर जरूरतमंद बच्चों की मदद कर रहे हैं।
इससे पहले 2020 में लॉकडाउन के दौरान गया के भिखारियों ने भी एक बैंक की शुरुआत की थी। इस बैंक से भिखारियों को बड़ी मदद मिलती है।
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