योगी आदित्यनाथ ने गोरखपुर में पत्रकारों से कहा कि वर्ष 1990 में फर्टिलाइजर कारपोरेशन ऑफ़ इंडिया (एफसीआई) का खाद कारखाना बंद हो गया था. अनेक सरकारें आईं, आश्वासन पर आश्वासन दिए गए लेकिन कुछ नहीं हुआ. इससे अन्नदाता किसान तो प्रभावित हुए ही सामान्य नागरिकों के जीवन और विकास पर विपरीत असर पड़ा.
रोजगार पर विराम लग गया. प्रधानमंत्री ने 2016 में गोरखपुर में नए खाद कारखाने का शिलान्यास किया था और समय सीमा में यह बनकर तैयार है. इस खाद कारखाने से प्रतिवर्ष 12 लाख मीट्रिक टन से अधिक यूरिया का उत्पादन होगा.
मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वर्ष 2016 में एक एम्स भी दिया और यह एम्स गोरखपुर में बनकर तैयार है. यहां लोगों को विश्व स्तरीय विशेषज्ञ चिकित्सा सुविधाएं मिलेंगी. वर्ष 1977 में बीआरडी मेडिकल कॉलेज में इंसेफलाइटिस के वायरस को पहचाना गया था.
बीमारी न जाने कब से रही होगी. वायरस की पहचान भी यहां नहीं,बल्कि नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी (एनआईवी) पुणे में की गई थी. इंसेफेलाइटिस, कालाजार, चिकनगुनिया, डेंगू और कोरोना तक के वायरस की जांच और उपचार के लिए, अग्रिम अनुसंधान अब यहीं होने लगेगा. वर्ष 2018 में इसका शिलान्यास तत्कालीन केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री ने किया था और 7 दिसंबर को पीएम मोदी इसका उद्घाटन करेंगे.
उन्होंने कहा कि 112 एकड़ में बने एम्स पर 1011 करोड़ रूपये तथा आरएमआरसी के लैब पर करीब 36 करोड़ रुपये की लागत आई है. इन विकास परियोजनाओं से एक बहुत बड़ी आबादी को तो सुविधा होगी ही, साथ ही रोजगार की दिशा में बड़ी सौगात मिलेगी.
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