बिहार में पुनः राष्ट्रगीत को लेकर हंगामा मचा हुआ है। संवैधानिक दर्जा न होने का लाभ उठाकर बार-बार राष्ट्रीय गीत की अवेहलना हो रही है। बिहार इस मामले में कुछ ज्यादा ही बदनाम है। इस बार यह हंगामा एआईएमआईएम के प्रदेश अध्यक्ष सह विधायक दल के नेता अख्तरूल इमान ने किया है। बिहार विधान सभा के शीतकालीन सत्र के अंतिम दिन सभी सदस्यगण राष्ट्रगीत के गायन के साथ सत्र का समापन कर रहे थे। लेकिन, एआईएमआईएम विधायक दल के नेता ने राष्ट्रगीत का बहिष्कार किया। वे सदन से बाहर चले गये। अपनी प्रतिक्रिया में उन्होंने कहा कि राष्ट्रगीत को वे और उनकी पार्टी स्वीकार नहीं करती। इसलिए उन्होंने राष्ट्रगीत गाने से मना कर दिया। इतना कहकर ही अख्तरूल इमान नहीं माने। उन्होंने यहां तक कह डाला कि बिहार विधान सभा के अध्यक्ष जबरदस्ती ये परंपरा थोप रहे हैं। बिना वजह राष्ट्रगीत गाना जरूरी नहीं है। उन्हें राष्ट्रगीत यानी ‘वंदे मातरम्’ गाने में दिक्कत है। ये उनकी आस्था के खिलाफ है। कोई वेज होता है, कोई नाॅनवेज। लेकिन, सब पर एक ही नियम लागू करना उचित नहीं है। अध्यक्ष सब पर एक ही डंडा चला रहे हैं। ऐसा नहीं होता है। संविधान पूर्ण है। वे ‘वंदे मातरम्’ नहीं गाते हैं और न गायेंगे।
विधायक अख्तरूल इमान के इस कृत्य को लेकर बिहार में सियासत तेज हो गई है। भाजपा के लालगंज विधायक संजय कुमार ने अपनी प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि अख्तरूल इमान को इस गीत से नफरत है तो उन्हें उस देश चले जाना चाहिए जहां का राष्ट्रगान उन्हें पसंद है। जो परंपरा वर्षों से चली आ रही है, वह लागू रहेगी। इस देश में रहने वाले प्रत्येक व्यक्ति को राष्ट्रगीत और राष्ट्रगान गाना ही चाहिए। अगर किसी को इस पर ऐतराज है तो इसका मतलब है कि वह इस देश में रहने के काबिल नहीं है। राष्ट्रगीत का बहिष्कार करना उनकी गलत मंशा को बताता है।
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