पिछली सरकारों में एमएसएमई सेक्टर उपेक्षित था. इसकी वजह से कई उद्योग दूसरे राज्यों में पलायन कर गए थे. भाजपा सरकार ने एमएसएमई सेक्टर को पुनर्जीवित करने के लिए कई महत्वपूर्ण निर्णय लिए. उत्तर प्रदेश सरकार ने आदेश किया कि हर विभाग अपने वार्षिक बजट से 25 फीसदी खरीद एमएसएमई से करेगा. इसके सकारात्मक परिणाम सामने आए. मौजूदा वित्त वर्ष में 10 नवंबर तक एमएसएमई से सरकारी खरीद 3,855 करोड़ रूपये की हुई और साढ़े चार साल में यह खरीद 15 हजार करोड़ रूपये से अधिक की है.
साढ़े चार साल में 2,70,611 करोड़ रूपये का लोन दिया गया है. एमएसएमई के अपर मुख्य सचिव डॉ. नवनीत सहगल ने बताया कि जितनी धनराशि बैंकों की ओर से दी गई है, उतनी ही और धनराशि का निवेश उद्यमियों ने किया है. इन उद्योगों में प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से तीन करोड़ लोगों को रोजगार के अवसर मिले हैं.
सरकार के समन्वय से प्रदेश में 91,83,833 इकाइयों को विभिन्न योजनाओं के अंतर्गत लोन मिला. इसमें वित्त वर्ष 2017-18 में 7,87,572 इकाइयों को 41,193 करोड़ रूपये का लोन दिया गया. वित्त वर्ष 2018-19 में 10,24,265 उद्यमियों को 47,764 करोड़ रूपये और 2019-20 में 17,45,472 उद्यमियों को 62,831 करोड़ रूपये का लोन दिया गया.
वित्त वर्ष 2020-21 में 34 लाख 80 हजार 596 उद्यमियों को 63,038 करोड़ रूपये का लोन दिया गया. वित्त वर्ष 2021-22 में 30 नवंबर तक 21 लाख 45 हजार 928 उद्यमियों को कुल 28,583 करोड़ रूपये का लोन दिया जा चुका है.
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