जयंती विशेष: भारतवर्ष को प्राप्त ईश्वर का प्रसाद थे राजेन्द्र बाबू
May 13, 2025
  • Read Ecopy
  • Circulation
  • Advertise
  • Careers
  • About Us
  • Contact Us
android app
Panchjanya
  • ‌
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • अधिक ⋮
    • जीवनशैली
    • विश्लेषण
    • लव जिहाद
    • खेल
    • मनोरंजन
    • यात्रा
    • स्वास्थ्य
    • संस्कृति
    • पर्यावरण
    • बिजनेस
    • साक्षात्कार
    • शिक्षा
    • रक्षा
    • ऑटो
    • पुस्तकें
    • सोशल मीडिया
    • विज्ञान और तकनीक
    • मत अभिमत
    • श्रद्धांजलि
    • संविधान
    • आजादी का अमृत महोत्सव
    • मानस के मोती
    • लोकसभा चुनाव
    • वोकल फॉर लोकल
    • जनजातीय नायक
    • बोली में बुलेटिन
    • पॉडकास्ट
    • पत्रिका
    • ओलंपिक गेम्स 2024
    • हमारे लेखक
SUBSCRIBE
  • ‌
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • वेब स्टोरी
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • अधिक ⋮
    • जीवनशैली
    • विश्लेषण
    • लव जिहाद
    • खेल
    • मनोरंजन
    • यात्रा
    • स्वास्थ्य
    • संस्कृति
    • पर्यावरण
    • बिजनेस
    • साक्षात्कार
    • शिक्षा
    • रक्षा
    • ऑटो
    • पुस्तकें
    • सोशल मीडिया
    • विज्ञान और तकनीक
    • मत अभिमत
    • श्रद्धांजलि
    • संविधान
    • आजादी का अमृत महोत्सव
    • मानस के मोती
    • लोकसभा चुनाव
    • वोकल फॉर लोकल
    • जनजातीय नायक
    • बोली में बुलेटिन
    • पॉडकास्ट
    • पत्रिका
    • ओलंपिक गेम्स 2024
    • हमारे लेखक
Panchjanya
panchjanya android mobile app
  • होम
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • विश्लेषण
  • मत अभिमत
  • रक्षा
  • संस्कृति
  • पत्रिका
होम भारत

जयंती विशेष: भारतवर्ष को प्राप्त ईश्वर का प्रसाद थे राजेन्द्र बाबू

by पंकज झा
Dec 3, 2021, 01:28 pm IST
in भारत
FacebookTwitterWhatsAppTelegramEmail
आज भारत रत्न डॉ. राजेंद्र प्रसाद के जन्मदिन पर राष्ट्र को एकमेव स्वर में यही कहना होगा कि सोमनाथ मंदिर के जीर्णोद्धार के बाद प्रथम राष्ट्रपति द्वारा किया उसका लोकार्पण उनके हर पुण्यों से बड़ा पुण्य रहा. भारत में कथित पंथनिरपेक्षता को दुत्कार कर स्वतंत्र भारत के आगे बढ़ते रहने की पुण्यायी के अगुआ ‘देशरत्न’ ही थे.

भारत के प्रथम राष्ट्रपति भारत रत्न डॉ. राजेन्द्र प्रसाद का आज जन्मदिन है. यह दिन यूं ही बीत गया, लेकिन कांग्रेस के किसी भी खेमे में आज कोई चहल-पहल नहीं है. स्वाभाविक ही है ऐसा कुछ नहीं होना. छत्तीसगढ़ जो उन मुट्ठी भर राज्यों में से एक है, जहां कांग्रेस आज शासन में है. जहां की सरकार की सुबह और शाम नेहरू परिवार से शुरू और उन्हीं से समाप्त होती है. यहां तक कि पंडित दीनदयाल उपाध्याय जी के ऐन जन्मदिन के दिन उनके नाम वाली सारी योजनाओं को बदल कर नेहरू खानदान के नाम पर कर दिया गया. वंश के प्रति इतना अधिक आग्रह कि धान खरीदी की रकम भी किसानों को इंदिरा गांधी या राजीव गांधी के जन्म और मृत्यु के दिन को देखकर दी जाती है. ऐसी कांग्रेसी सरकार अगर प्रथम राष्ट्रपति को ही भूल जाए, चंद दिन पहले ही संविधान दिवस के नाम पर एक ही खानदान को झूठा श्रेय देने का आयोजन बना दे, लेकिन उसी संविधान सभा के अध्यक्ष को ही भूल जाए, तो इसे एक सामान्य भूल नहीं अपितु सोचा-समझा षड़यंत्र समझा जाना चाहिए. ऐसा है भी. 

स्वतंत्र भारत के पहले राष्ट्रपति और अद्वितीय प्रतिभा के धनी भारत रत्न डॉ. राजेन्द्र प्रसाद को उनकी जयंती पर शत-शत नमन। उन्होंने देश के स्वतंत्रता संग्राम में अपना विशिष्ट योगदान दिया। राष्ट्रहित में समर्पित उनका जीवन देशवासियों के लिए हमेशा प्रेरणास्रोत बना रहेगा।

— Narendra Modi (@narendramodi) December 3, 2021

दरअसल, आजादी के समय और उसके बाद भी कांग्रेस के हर वे मनीषी जिनका जरा भी मतभेद नेहरू परिवार से रहा हो, जिसने उस निजाम के आगे सिर झुकाने से इंकार किया हो, जिसने भी ‘नेहरू-इंदिरा कांग्रेस’ की मूल नीति के उलट कभी भी हिन्दू हित की जरा सी बात कर दी हो, उसके विरुद्ध यह वंश और इसके तमाम चाटुकार हमेशा हाथ धो कर पीछे पड़े हैं. ऐसे नेताओं के मरणोपरांत भी उनकी स्मृतियों तक को खुरच कर फेंक दिया जाए, ऐसी कोशिशें हमेशा ‘शक्तिशाली परिवार’ की रही. यहां तक कि जिस भी नेता ने ज़रा भी लोकप्रियता हासिल की, उसे भी बियाबान में धकेल देने का सफल-असफल षड्यंत्र हमेशा होता रहा. स्वनामधन्य डॉ. राजेन्द्र प्रसाद से लेकर सरदार वल्लभ भाई पटेल, लाल बहादुर शास्त्री, सीताराम केसरी से लेकर नरसिम्हा राव तक की लम्बी सूची रही है, ऐसे मनीषियों की. अगर परिवार विरोध में स्टैंड ले चुके माधवराव सिंधिया, राजेश पायलट, जितेन्द्र प्रसाद… प्रभृति नेताओं की तरह संदिग्ध मृत्यु को प्राप्त नहीं हो पाए तो ऐसे मनीषियों की स्मृतियों को मारने का षड्यंत्र हमेशा ‘परिवार’ के भीतर चलता रहा है. शास्त्री से लेकर राव तक को पुनः याद कर लें. डॉ. राजेन्द्र प्रसाद तो खैर उसके सबसे बड़े उदाहरण हैं ही.

 
प्रश्न यह है कि आखिर समस्या क्या है कथित कांग्रेस को ‘देशरत्न’ से ? उनकी स्मृतियां क्यों आखिर इतनी चुभती हैं कांग्रेस को ? जिन डॉ. प्रसाद को सरदार पटेल ने उनकी ‘आत्मकथा’ के प्राक्कथन में ‘एक पवित्र देशभक्त’ के विशेषण से सुशोभित किया है, अव्वल तो उसके लिए चंद पंक्ति लिखने का भी अवकाश पंडित नेहरू को नहीं मिला, और उसके बाद हमेशा डॉ. प्रसाद की ‘पवित्र देशभक्ति’ का सिला आजतक डॉ. प्रसाद पा रहे हैं. ज़ाहिर है हिन्दुस्थान की देशभक्ति तभी ‘पवित्र’ होगी ही अगर उसमें हिन्दू हितों की बात भी हो. सनातन आस्थाओं और संस्कार से आप्लावन ही भारत भक्ति का पर्याय होना चाहिए, लेकिन नेहरूवियन कांग्रेस को यह ज़रा भी पसंद नहीं.

1947 से लेकर आज तक सफल और स्मरण लायक कांग्रेसी होने की दो मुख्य कसौटी हमेशा रही हैं- एक, नेहरू परिवार के भक्त रहें आप और दूसरा सांप्रदायिक तुष्टीकरण को अपने डीएनए में पैबस्त कर लें. यही दोनों नहीं कर सकते थे डॉ. राजेन्द्र प्रसाद जी भी. एक तो उनका कद इतना बड़ा था कि नेहरू के न चाहते हुए भी वे राष्ट्रपति बने. फिर हिन्दू कोड बिल और सोमनाथ जीर्णोद्धार समेत हर मामले पर राजेन्द्र बाबू ने ‘पवित्र देशभक्ति’ का परिचय दिया. ‘महादेव’ जीर्णोद्धार तो राजेन्द्र बाबू का ऐसा निर्णय रहा जिसके लिए वे युगों तक स्मरण किये जाते रहेंगे. यह कहना अतिश्योक्ति नहीं होगी कि उस जीर्णोद्धार की नींव पर ही आगे श्री लालकृष्ण आडवाणी जी की सोमनाथ से अयोध्या तक की प्रसिद्ध यात्रा और अंततः श्री नरेंद्र मोदी तक पहुंच कर श्रीराम जन्मभूमि पर भव्य एवं दिव्य मंदिर के ‘निर्माण’ का मार्ग प्रशस्त हुआ. भारत को, हिंदुत्व को सनातन ‘नींव से निर्माण तक’ के इस इतिहास को हमेशा याद रखना चाहिए. सदा समादर करना चाहिए. राष्ट्रगीत ‘वन्दे मातरम’ से लेकर हर ऐसे संस्कारों को स्थापित करने में जहां सरदार पटेल हमेशा राजेन्द्र बाबू के हमकदम रहे, वहीं नेहरू की आंख का कांटा तो यह जोड़ी रही ही. हालांकि इसी समानता के कारण सरदार पटेल और राजेन्द्र बाबू में खूब जमती थी.

सोमनाथ मंदिर के जीर्णोद्धार विषय पर भी राजेंद्र प्रसाद और सरदार पटेल एकमत थे. दोनों इसे भारतीय अस्मिता, परम्परा, संस्कार से जोड़ कर देखते थे, लेकिन नेहरू के हिसाब से ऐसा करना साम्प्रदायिकता थी और कथित पंथनिरपेक्षता के यह खिलाफ होता. यहां तक की जवाहर लाल नेहरू ने गुजरात के तब के मुख्यमंत्री को भी सोमनाथ जीर्णोद्धार कार्यक्रम के विरुद्ध पत्र लिख दिया था. जबकि डॉ. राजेंद्र प्रसाद ने न केवल सोमनाथ बल्कि वो हर महत्वपूर्ण स्थान जिससे सनातन समाज की आस्थाएं सांस लेती हैं और उसे इतिहास में अवरुद्ध किया गया था, उसे ‘ठीक करने’ के हिमायती थे. अंततः पहले प्रधानमंत्री के विरोध के बावजूद पहले राष्ट्रपति ने सोमनाथ के पुनर्निर्माण का मार्ग प्रशस्त किया, लेकिन नेहरू के कारण ही हमें अयोध्या तक आते-आते सत्तर साल व्यतीत करने पड़े। 

आज भारत रत्न डॉ. राजेंद्र प्रसाद के जन्मदिन पर राष्ट्र को एकमेव स्वर में यही कहना होगा कि सोमनाथ मंदिर के जीर्णोद्धार के बाद प्रथम राष्ट्रपति द्वारा किया उसका लोकार्पण उनके हर पुण्यों से बड़ा पुण्य रहा. भारत में कथित पंथनिरपेक्षता को दुत्कार कर स्वतंत्र भारत के आगे बढ़ते रहने की पुण्यायी के अगुआ ‘देशरत्न’ ही थे. सोमनाथ से चली वही यात्रा आज अयोध्या तक पहुंची है. अगर डॉ.राजेंद्र प्रसाद ने पंडित नेहरू की मंशा के ख़िलाफ़ जाकर सोमनाथ के लिये क़दम नहीं बढ़ाया होता, तो सनातन हिंदुत्व स्वतंत्र भारत में शायद आज इतना समादृत-जागृत नहीं हो पाता. पंडित नेहरू के उपरोक्त वर्णित ऐसे सतत अधर्म के ख़िलाफ़ अश्वमेध यज्ञ थे डॉ. राजेंद्र प्रसाद. उन ‘एक्सिडेंटल हिंदू’ के ख़िलाफ़ परम स्वाभिमानी, सौभाग्यशाली सनातनी थे प्रसाद. भूरे अंग्रेजों के बरक्स युगों-युगों के भारतीय मनीषा थे प्रसाद. पंथनिरपेक्षता रूपी जहन्नुम के बरक्स हिंदुत्व का स्वर्ग थे डा. राजेंद्र प्रसाद.

सनातन के पक्ष में डट कर खड़े रहने, और ‘परिवार’ से ऊपर होने का ख़ामियाज़ा सरस्वती के महान अवतार ने कम नहीं झेला. संविधान सभा के अध्यक्ष रहे लेकिन ‘निर्माता’ नहीं कहे गये. महान भारत के प्रथम राष्ट्रपति रहे, लेकिन राष्ट्रपति भवन छोड़ने के बाद न तो जीवन में, और न ही महाप्रयाण के बाद भी राष्ट्रीय राजधानी की गज़ भर ज़मीं उन्हें मयस्सर होने दी गयी. भारत का सबसे बड़ा मुखिया, अस्थमा का गम्भीर मरीज़ होने के बावजूद सदाक़त आश्रम के सीलन भरे कमरे में दम घुटकर जीने, और अंततः उसी हाल में मृत्यु को विवश कर दिया गया. भारत का पुरोधा चला गया था, लेकिन, पेरिस से धुले जैकेट का गुलाब मुरझाया नहीं. बल्कि वह खिला और खिलखिलाता सा ही रहा. केवल इसलिए क्योंकि प्रधानमंत्री के ‘आदेश’ के बग़ैर यह महायोद्धा, भारत के प्रतीक महादेव की आराधना का दुस्साहस कर गया था. क्योंकि शरिया को भारतीय क़ानून बना देने के ज़माने में उस ‘हिंदू’ ने कह दिया था कि हिंदुओं को भी ज़रा सहूलियत दी जाए. हिन्दू कोड बिल के नाम पर भेदभाव न हो. सनातनियों को भी अपनी आस्था, परम्परा और मान्यताओं के साथ जी लेने दिया जाए! तमाम प्रायोजित विद्वत्ताओं के बरक्स अकेली यह प्रतिभा ‘एक्ज़ामिनी इज बेटर देन एक्ज़ामिनर’ कहा गया. इसी कारण शायद ईर्ष्या का शिकार भी था. आख़िर आसान थोड़े था गंगाधर के पौत्र के सामने किसी और का ‘शक्तिमान’ हो जाना। किन्तु…

किन्तु अपनी त्याग, तपस्या और बलिदान के कारण अगर हो ही गए थे आदमक़द डॉ. प्रसाद, तो उनका कोई यह निजी अपराध थोड़े था भला ? भले इस अनकिये की अनकही सज़ा भी उन्हें बार-बार दी जा रही है. बावजूद इन कांग्रेसी उपेक्षाओं के इस महान राष्ट्र दृष्टि में भारतवर्ष को मिला ईश्वर का अनुपम और पवित्र प्रसाद थे राजेंद्र बाबू. कृतज्ञ राष्ट्र की इस महान धर्मयोद्धा को विनम्र श्रद्धांजलि. पुष्पांजलि, स्मरणांजलि.

ShareTweetSendShareSend
Subscribe Panchjanya YouTube Channel

संबंधित समाचार

PM Modi Adampur airbase visit

ऑपरेशन सिंदूर की सफलता के बाद पंजाब के आदमपुर एयरबेस पहुंचे पीएम मोदी, जवानों को सराहा

Punjab Khalistan police

खालिस्तानी आतंकियों को हथियार उपलब्ध करवाने वाला आतंकवादी हैरी गिरफ्तार

Donald trump want to promote Christian nationalism

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप को कतर से मिल रहा 3300 करोड़ का गिफ्ट, फिर अमेरिका में क्यों मचा है हड़कंप?

CM Dhami Dol Ashram

मुख्यमंत्री धामी ने डोल आश्रम में श्री पीठम स्थापना महोत्सव में लिया हिस्सा, 1100 कन्याओं का किया पूजन

awami league ban in Bangladesh

बांग्लादेश में शेख हसीना की अवामी लीग की गतिविधियां प्रतिबंधित: क्या इस्लामिक शासन की औपचारिक शुरुआत?

Posters in Pulvama for Pahalgam terrorist

पहलगाम आतंकी हमला: हमलावरों की सूचना देने पर 20 लाख रुपये का इनाम, पुलवामा में लगे पोस्टर

टिप्पणियाँ

यहां/नीचे/दिए गए स्थान पर पोस्ट की गई टिप्पणियां पाञ्चजन्य की ओर से नहीं हैं। टिप्पणी पोस्ट करने वाला व्यक्ति पूरी तरह से इसकी जिम्मेदारी के स्वामित्व में होगा। केंद्र सरकार के आईटी नियमों के मुताबिक, किसी व्यक्ति, धर्म, समुदाय या राष्ट्र के खिलाफ किया गया अश्लील या आपत्तिजनक बयान एक दंडनीय अपराध है। इस तरह की गतिविधियों में शामिल लोगों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी।

ताज़ा समाचार

PM Modi Adampur airbase visit

ऑपरेशन सिंदूर की सफलता के बाद पंजाब के आदमपुर एयरबेस पहुंचे पीएम मोदी, जवानों को सराहा

Punjab Khalistan police

खालिस्तानी आतंकियों को हथियार उपलब्ध करवाने वाला आतंकवादी हैरी गिरफ्तार

Donald trump want to promote Christian nationalism

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप को कतर से मिल रहा 3300 करोड़ का गिफ्ट, फिर अमेरिका में क्यों मचा है हड़कंप?

CM Dhami Dol Ashram

मुख्यमंत्री धामी ने डोल आश्रम में श्री पीठम स्थापना महोत्सव में लिया हिस्सा, 1100 कन्याओं का किया पूजन

awami league ban in Bangladesh

बांग्लादेश में शेख हसीना की अवामी लीग की गतिविधियां प्रतिबंधित: क्या इस्लामिक शासन की औपचारिक शुरुआत?

Posters in Pulvama for Pahalgam terrorist

पहलगाम आतंकी हमला: हमलावरों की सूचना देने पर 20 लाख रुपये का इनाम, पुलवामा में लगे पोस्टर

जैसलमेर में मार गिराया गया पाकिस्तानी ड्रोन

ऑपरेशन सिंदूर : थार का प्रबल प्रतिकार

अमृतसर में खेत में मिला मिसाइल का टुकड़ा

आपरेशन सिंदूर : हमले में संभला पंजाब

Uttarakhand MoU between army and pant university for milets

उत्तराखंड: सेना और पंत विश्व विद्यालय के बीच श्री अन्न को लेकर एमओयू

Punjab liquor death case

पंजाब में नकली शराब का कहर, अब तक 14 लोगों की गई जान

  • Privacy
  • Terms
  • Cookie Policy
  • Refund and Cancellation
  • Delivery and Shipping

© Bharat Prakashan (Delhi) Limited.
Tech-enabled by Ananthapuri Technologies

  • Search Panchjanya
  • होम
  • विश्व
  • भारत
  • राज्य
  • सम्पादकीय
  • संघ
  • ऑपरेशन सिंदूर
  • वेब स्टोरी
  • जीवनशैली
  • विश्लेषण
  • लव जिहाद
  • खेल
  • मनोरंजन
  • यात्रा
  • स्वास्थ्य
  • संस्कृति
  • पर्यावरण
  • बिजनेस
  • साक्षात्कार
  • शिक्षा
  • रक्षा
  • ऑटो
  • पुस्तकें
  • सोशल मीडिया
  • विज्ञान और तकनीक
  • मत अभिमत
  • श्रद्धांजलि
  • संविधान
  • आजादी का अमृत महोत्सव
  • लोकसभा चुनाव
  • वोकल फॉर लोकल
  • बोली में बुलेटिन
  • ओलंपिक गेम्स 2024
  • पॉडकास्ट
  • पत्रिका
  • हमारे लेखक
  • Read Ecopy
  • About Us
  • Contact Us
  • Careers @ BPDL
  • प्रसार विभाग – Circulation
  • Advertise
  • Privacy Policy

© Bharat Prakashan (Delhi) Limited.
Tech-enabled by Ananthapuri Technologies