ताइवान की स्वाभिमानी राष्ट्रपति त्साई इंग वेन
आगामी 9-10 दिसम्बर को अमेरिका में होने जा रहे ‘समिट फॉर डेमोके्रसी’ यानी लोकतांत्रिक देशों के शिखर सम्मेलन में अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडेन ने भारत, ताइवान और अन्य सहयोगी देशों को निमंत्रण भेजा है। लेकिन चीन, पाकिस्तान, अफगानिस्तान, तुर्की, बांग्लादेश व कुछ अन्य देशों के प्रति अमेरिकी नीति—निर्माताओं ने अपनी सोच को सार्वजनिक कर दिया है। गहन विचार-विमर्श के बाद इन देशों को सम्मेलन का न्योता नहीं भेजा गया। बाइडेन सरकार के इस पैंतरे से चीन का भड़कना स्वाभाविक ही था, लिहाजा उसने काफी तीखे शब्दों में अपनी भड़ास निकाली।
राष्ट्रपति बाइडेन की पहल पर अमेरिका में लोकतांत्रिक देशों का ऐसा सम्मेलन पहली बार होने वाला है। बताते हैं, यह दुनिया की अगुआई करने की अमेरिकी नीति का एक हिस्सा है। विशेषज्ञ इस सम्मेलन के आयोजन को अमेरिका की चीन और रूस को नीचा दिखाने की एक चाल भी कह रहे हैं।
ताइवान के विदेश मंत्रालय का कहना है कि डिजिटल मामलों के मंत्री आड्रे तांग सम्मेलन में ताइवान का प्रतिनिधित्व करेंगे, जिनके साथ होंगे वाशिंगटन स्थित ताइवान के राजदूत सियाओ बाइखीम। ताइवान का यह भी कहना है कि उसे यह इज्जत दसियों साल से लोकतांत्रिक मूल्यों तथा मानवाधिकार सिद्धांतों की पालना करने के कारण मिली है। ताइवान सरकार की तरफ से साफ कहा गया है कि चीन को उससे संबंधित किसी भी विषय पर बोलने का कोई अधिकार नहीं है। |
लोकतांत्रिक देशों के इस वर्चुअल सम्मेलन में अमेरिका ने भारत सहित ताइवान को भी न्योता भेजा है। बताया जा रहा है कि दुनिया के कम से कम 110 देश इस सम्मेलन में भाग लेने वाले हैं। लेकिन चीन का नाम सूची से नदारद है। अमेरिका के इस निर्णय से चीन बुुरी तरह भड़का है। कारण, उसे छोड़कर अमेरिका ने ताइवान को जो आमंत्रित किया है।
आखिरकार चीन की तरफ से प्रतिक्रिया देते हुए चीन के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता झाओ लिज्यान ने कहा है कि चीन लोकतंत्र के इस शिखर सम्मेलन में अमेरिका के ताइवान को बुलाने का कड़ा विरोध करता है। उन्होंने कहा कि विश्व में चीन सिर्फ एक ही है। पीपुल्स रिपब्लिक आॅफ चाइना की सरकार ही चीन का प्रतिनिधित्व करने वाली इकलौती सरकार है।
चीनी प्रवक्ता का कहना था कि ताइवान चीन का एक अटूट अंग है। ‘वन चाइना पॉलिसी’ अंतरराष्ट्रीय संबंधों का समग्रता में एक मान्यता प्राप्त मानदंड है। चीनी प्रवक्ता के अनुसार, ताइवान का अंतरराष्ट्रीय दर्जा चीन के एक हिस्से के नाते ही है। चीन की तरफ से यह भी कहा गया है कि अमेरिका अपने क्षेत्रीय हितों को साधने के लिए ऐसे नए-नए हथकंडों को अपना रहा है।
उधर अमेरिका का निमंत्रण स्वीकार करते हुए ताइवान के विदेश मंत्रालय का कहना है कि डिजिटल मामलों के मंत्री आड्रे तांग सम्मेलन में ताइवान का प्रतिनिधित्व करेंगे, जिनके साथ होंगे वाशिंगटन स्थित ताइवान के राजदूत सियाओ बाइखीम। ताइवान का यह भी कहना है कि उसे यह इज्जत दसियों साल से लोकतांत्रिक मूल्यों तथा मानवाधिकार सिद्धांतों की पालना करने के कारण मिली है। ताइवान सरकार की तरफ से साफ कहा गया है कि चीन को उससे संबंधित किसी भी विषय पर बोलने का कोई अधिकार नहीं है।
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