नैनीताल हाई कोर्ट के बार सभागार में गोवर्धन पुरी पीठाधीश्वर शंकराचार्य निश्चलानन्द सरस्वती जी ने वकीलों को संबोधित किया, जहां उन्होंने कहा कि इस देश का दुर्भाग्य रहा कि मैकाले के शिक्षा सिद्धांतों ने न्यायिक प्रणाली को दूषित किया है।
उच्च न्यायालय के अधिवक्ताओं के साथ संवाद कार्यक्रम में शंकराचार्य निश्चलानन्द सरस्वती जी शामिल हुए। इस दौरान उन्होंने कहा कि सनातन वैदिक परम्पराएं हमारे देश के लिए ही नहीं, अपितु पूरे विश्व के लिए श्रेष्ठ हैं। ऐसा जब दुनिया ने मान लिया तो एक षड्यंत्र के तहत हमारे गुरुकुल हमारे उच्च शिक्षा संस्थानों को समाप्त किया गया। मैकाले की शिक्षा नीति ने इस देश की संस्कृति को समाप्त सा कर दिया और मैकाले के सिद्धांतो ने न्याययिक प्रणाली को दूषित कर दिया। इसके बाद आरक्षण ने व्यवस्था में योग्य व्यक्तियों को देश सेवा से वंचित सा कर दिया।
शंकराचार्य ने कहा कि भारत को हिन्दू राष्ट्र घोषित किया जाना चाहिए, क्योंकि यहां हिन्दू रहते हैं। हिन्दू एक जीवन पद्यति है, यहां रहने वाला हर नागरिक हिन्दू है। शंकराचार्य जी ने कहा देवभूमि उत्तराखंड में धर्म, गोरक्षा, पलायन आदि विषयों पर राजनीति जरूर होनी चाहिए। यह तपो भूमि है, योग भूमि है इसे भोग भूमि न बनने दें। इस अवसर पर उत्तराखंड हाई कोर्ट बार एसोसिएशन की तरफ से शंकराचार्य निश्चलानन्द सरस्वती जी का स्वागत किया गया। हाई कोर्ट के महाधिवक्ता एसएन बाबुलकर, वरिष्ठ अधिवक्ता स.गजेंद्र सिंह संधू, बिन्देश गुप्ता, सुनील खेड़ा, डॉ महेंद्र पाल, आदि मौजूद रहे।
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