श्री पंचदशनाम जूना अखाड़ा के महामंडलेश्वर स्वामी नरसिंहानंद गिरी महाराज, स्वामी अमृतानंद और श्री परशुराम अखाड़ा के अध्यक्ष पण्डित अधीर कौशिक ने आईएसआईएस के मुखपत्र वॉइस ऑफ हिन्द के कवर पेज पर मुरुदेश्वर महादेव की प्रतिमा को क्षत विक्षत दिखाने और प्रतिमा के शीर्ष आईएसआईएस के झंडे को दिखाने को लेकर आज भूपतवाला स्थित वेद निकेतन धाम में सन्यासियों के साथ बैठक की।
बैठक को सम्बोधित करते हुए महामंडलेश्वर स्वामी नरसिंहानंद गिरी ने कहा कि आईएसआईएस ने वॉइस ऑफ हिन्द के कवर पृष्ठ पर दुनिया की विशालतम प्रतिमाओं में से एक मुरुदेश्वर महादेव की प्रतिमा को खंडित दिखाकर और प्रतिमा के शीर्ष पर आईएसआईएस का झंडा दिखाकर अपने घृणित इरादों को बहुत मजबूत तरीके से सम्पूर्ण विश्व के सामने रखा है। कट्टरपंथियों का उदय ही निर्दोष लोगों की हत्या करके उनकी औरतों को लूटने और सम्पत्ति को कब्जाने के लिए हुआ है।
उन्होंने कहा कि आईएसआईएस अरब और सारी दुनिया में जो कर रहा है, वही असली इस्लाम है। स्वामी नरसिंहानंद महाराज ने कहा कि आज सारी गलती हिन्दुओं की है, जो पिछले 1400 साल से इन बर्बरों के शिकार होकर अपनी देव प्रतिमाओं और मठ मंदिरों को तुड़वा रहे हैं। हम हिन्दुओं की कायरता के कारण सोमनाथ महादेव, काशी विश्वनाथ, श्री रामजन्म भूमि, श्रीकृष्ण जन्मभूमि सहित हमारे लाखों मठ मन्दिर तोड़ दिए गए। आज मुरुदेश्वर महादेव की विशाल प्रतिमा को तोड़ने का संकेत देकर स्पष्ट बता दिया है कि वो हिन्दुओं के सर्वनाश के लिए कृत संकल्पित हैं। इतनी बड़ी घटना पर हिन्दू समाज का मौन विनाशकारी सिद्ध होगा। उन्होंने यह भी कहा कि आईएसआईएस के इस कुकृत्य का किसी ने भी विरोध नहीं किया है। इसका अर्थ है कि उन सभी की मौन स्वीकृति आईएसआईएस के इस कुत्सित लक्ष्य को है। अब हम सभी को इनकी सच्चाई को समझ कर अपने अस्तित्व के लिये लड़ना ही होगा।
बैठक में स्वामी अमृतानंद जी ने कहा कि अब हमारे धैर्य की सभी सीमाएं टूट चुकी हैं। परिस्थिति की हिन्दुओं को अंतिम लड़ाई के लिए मजबूर कर रही हैं। पंडित अधीर कौशिक ने कहा कि अब हिन्दुओं का धैर्य टूट चुका है। स्वामी नरसिंहानंद गिरी ने बताया कि 18 व 19 दिसंबर को हरिद्वार में अपने अस्तित्व की रक्षा के लिए संत और समाज के समन्वय हेतु धर्म संसद का आयोजन किया जा रहा है। धर्म संसद में सनातन धर्म के सभी सम्प्रदायों के धर्मगुरुओं सहित देश के सभी हिन्दू संगठनों के कार्यकर्ताओं को आमंत्रित किया जाएगा, ताकि आने वाले भयानक इस्लामिक जिहाद के खतरे का सामना संगठित रूप से किया जा सके। बैठक में साध्वी अमृता भारती, स्वामी ललितानंद, स्वामी परमानंद, स्वामी विश्वा पुरी, पवनकृष्ण तथा अन्य संत उपस्थित थे।
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