मध्य प्रदेश में इस्लामिक संगठन पॉपुल फ्रंट ऑफ इंडिया (PFI) और गैर-सरकारी संगठनों द्वारा विदेशी धन से चलाई जा कन्वर्जन व समाज विरोधी गतिविधियों को लेकर शिवराज सिंह चौहान सरकार ने सख्त रुख अपनाया है। राज्य सरकार ने इन गतिविधियों में लिप्त लोगों और संगठनों के खिलाफ जांच के आदेश दिए हैं।
प्रदेश के गृह मंत्री नरोत्तम मिश्र ने कहा कि कुछ दिनों से पीएफआई और अन्य संगठनों के खिलाफ शिकायतें मिल रही हैं। ये विदेशी पैसे से जबरन कन्वर्जन कर रहे हैं और समाज में दुश्मनी फैला रहे हैं। एनजीओ को विदेशों से चंदा मिलने का मामला गंभीर है। निश्चित ही इसकी जांच होनी चाहिए कि धन कहां से आ रहा है और कैसे खर्च किया जा रहा है। नरोत्तम मिश्र का यह बयान मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के उस आदेश के बाद आया है, जिसमें उन्होंने विदेशों से चंदा पाने वाले एनजीओ, वैमनस्यता फैलाने व कन्वर्जन में शामिल लोगों के खिलाफ जांच के आदेश दिए हैं।
मुख्यमंत्री ने जिलाधिकारियों, संभागीय आयुक्तों और महानिरीक्षकों को ऑनलाइन संबोधित करते हुए कहा था कि विदेश से चंदा पाने वाले एनजीओ को प्रदेश में काम करने की अनुमति नहीं दी जाएगी। उन्होंने पुलिस और प्रशासनिक को जांच का आदेश देते हुए कहा कि मध्य प्रदेश में कन्वर्जन, वैमनस्यता फैलाने और समाज को बांटने जैसी गतिविधियों में शामिल एनजीओ के लिए कोई जगह नहीं है। ऐसे संगठनों और संस्थाओं से जुड़े लोगों की पहचान कर उनकी सूची बनाएं। उन्हें राज्य में नहीं रहने दिया जाएगा। साथ ही, कहा कि इस बात का पता भी लगाया जाए कि ऐसे संगठन किस उद्देश्य से धन जुटाते हैं।
बता दें कि अक्तूबर में त्रिपुरा में हुई हिंसा को लेकर उज्जैन में स्थानीय प्रशासन को एक ज्ञापन दिया गया था। इसमें पीएफआई से जुड़े लोगों पर आपत्तिजनक भाषा का प्रयोग करने का आरोप लगाया गया था। इसके बाद मध्य प्रदेश पुलिस ने पीएफआई के 6 सदस्यों का हिरासत में लिया था, लेकिन बाद में सभी को छोड़ दिया गया। इसी तरह, नवंबर के शुरू में झाबुआ और खरगोन जिले में जबरन कन्वर्जन के दो मामले सामने आए थे, जिसमें 11 लोगों को गिरफ्तार किया गया था। इनमें 7 लोग राजस्थान और गुजरात के थे। खरगोन में अरुणाचल प्रदेश की राजधानी ईटानगर के एक पादरी के खिलाफ भी मामला दर्ज किया गया था।
टिप्पणियाँ