हिंदुस्तान उर्वरक एवं रसायन लिमिटेड द्वारा निर्मित इस खाद कारखाने से प्रतिवर्ष 12.7 लाख मीट्रिक टन नीम कोटेड यूरिया का उत्पादन होगा. बड़े पैमाने पर खाद उत्पादन से देश के सकल खाद आयात में भारी कमी आएगी. गोरखपुर में 1968 में स्थापित फर्टिलाइजर कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया के खाद कारखाने में वर्ष 1990 में हुए एक हादसा हुआ था. उसके बाद उसे बंद कर दिया गया था. वर्ष 1998 में गोरखपुर से पहली बार सांसद निर्वाचित होने के बाद योगी आदित्यनाथ ने हर सत्र में खाद कारखाने को चलाने या इसके स्थान पर नया प्लांट स्थापित करने की मांग की.
गोरखपुर के खाद कारखाने के संचालन की जिम्मेदारी हिंदुस्तान उर्वरक एवं रसायन लिमिटेड (एचयूआरएल) को दी गई है. एचयूआरएल एक संयुक्त उपक्रम है जिसमें कोल इंडिया लिमिटेड, एनटीपीसी, इंडियन ऑयल कॉर्पोरेशन लीड प्रमोटर्स हैं. इसमें फर्टिलाइजर कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड और हिंदुस्तान फर्टिलाइजर कॉरपोरेशन लिमिटेड भी साझीदार हैं.
इस संयुक्त उपक्रम के अधीन गोरखपुर खाद कारखाने के निर्माण में करीब 8 हजार करोड़ रुपये की लागत आई है. एचयूआरएल के इस खाद कारखाने की उत्पादन क्षमता प्रतिदिन 3850 मीट्रिक टन और प्रतिवर्ष 12.7 लाख मीट्रिक टन उर्वरक उत्पादन की है. इसके उत्पादनशील होने से पूर्वी उत्तर प्रदेश के साथ ही बिहार व उत्तर प्रदेश से लगे हुए अन्य राज्यों में नीम कोटेड यूरिया की बड़े पैमाने पर आपूर्ति सुनिश्चित होगी. लोकार्पण से पूर्व कारखाना प्रबंधन 30 नवम्बर में उत्पादन का ट्रायल करने जा रहा है.
गोरखपुर खाद कारखाना:एक नजर मेंशिलान्यास – 22 जुलाई 2016 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के हाथों संचालनकर्ता : हिंदुस्तान उर्वरक एवं रसायन लिमिटेड कुल बजट – करीब 8000 करोड़ रुपये यूरिया प्रकार – नीम कोटेड प्रीलिंग टावर – 149.5 मीटर ऊंचा रबर डैम का बजट- 30 करोड़ रोजगार प्रत्यक्ष-अप्रत्यक्ष – 10 हजार रोजाना यूरिया उत्पादन – 3850 मीट्रिक टन रोजाना लिक्विड अमोनिया उत्पादन –2200 मीट्रिक टन |
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