धर्म और हिंदुत्व भारतीय इतिहास के मूलाधार हैं: डॉ मोहन भागवत
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होम भारत

धर्म और हिंदुत्व भारतीय इतिहास के मूलाधार हैं: डॉ मोहन भागवत

by डॉ. अजय खेमरिया
Nov 28, 2021, 03:30 pm IST
in भारत, मध्य प्रदेश
डॉ मोहन राव भागवत, सरसंघचालक, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ

डॉ मोहन राव भागवत, सरसंघचालक, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ

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स्वदेश के स्वर्ण जयंती समारोह में सरसंघचालक जी ने विभाजन की विभीषिका को फिर उठाया

 

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक डॉ मोहन राव भागवत ने कहा है कि राष्ट्रवादी पत्रकारिता के द्वारा 'स्व' जागरण का अभियान शुरू हो चुका है। दुनिया भारत की तरफ उम्मीद की नजर से देख रही है। हमें हिन्दू रहना होगा क्योंकि हिन्दू धर्म से अलग नहीं हो सकता और भारत हिन्दू से अलग नहीं हो सकता है। हिन्दू है तो भारत है और हिन्दू नहीं तो भारत नही। भारत को छोड़कर अगर हिंदुओं का इतिहास लिखा जाएगा तो क्या इतिहास  होगा? उसी तरह हिंदुओं को छोड़कर धर्म का इतिहास नहीं लिखा जा सकता है। अंग्रेजों ने ऐसा ही इतिहास लिखा था अगर उसे कोई भी पढ़ता है तो उसे ऐसा लगता है कि हिन्दू कहीं था ही नहीं, ऐसा आभास होता है मानों दस-पन्द्रह पीढ़ी पूर्व हमारे कोई पूर्वज ही नहीं थे, क्योंकि उस अंग्रेजी इतिहास में हिन्दू नहीं है और यह भी तथ्य है कि हिन्दू नहीं है तो भारत भी नहीं है। डॉ भागवत ने यह बात ग्वालियर स्वदेश प्रकाशन के स्वर्णजयंती समारोह को संबोधित करते हुए कही।

हिन्दू नहीं रहा तो भारत नहीं रहेगा
भारत विभाजन का जिक्र करते हुए उन्होंने यह सवाल उठाया कि आखिर भारत टूटा क्यों? डॉ भागवत के अनुसार पहले वहां (आज के पाकिस्तान) हिंदुओ की शक्ति कम हुई फिर संख्या कम हुई और हिंदुत्व का भाव तेजी से घटा परिणामस्वरूप पाकिस्तान निर्मित हुआ। वो चाहते तो हमसे कह सकते थे तुम हिन्दू मत बनो, हिंदुस्तान शब्द मत लो क्योंकि वेद हमारे यहां लिखे गए, संस्कृत का व्याकरण हमारे यहां लिखा गया, जिस सिंधु शब्द से हिन्दू की उतपत्ति हुई है वह सिंधु भी हमारे यहां। उन्होंने ऐसा नहीं किया, क्योंकि अगर हिंदुस्तान कहेंगे तो भारत आएगा और भारत आएगा तो स्वाभाविक है हिन्दू आएगा ही। इसीलिए उन्होंने खुद को पाकिस्तानी कहलाना पसंद किया है। डॉ भागवत ने  जोर देकर कहा कि हिन्दू नहीं रहा तो भारत नहीं रहेगा। उन्होंने इसे अखंड भारत के उदाहरण के साथ समझाते हुए बताया कि जहां भी हिंदू संख्या बल और भाव में कम हुआ है वह स्थान भौगोलिक रूप से भारत नहीं रहे। हम अपने देश में ही देख लें कि भारत में कहां-कहां हमारी एकता, अखंडता को खतरा खड़ा हुआ है? किन क्षेत्रों में सामाजिक-आर्थिक समस्याएं तगड़ी हैं और अस्थिरता की स्थिति है। हम देखेंगे कि ऐसे सभी क्षेत्रों में हिंदुत्व की शक्ति, संख्या और भाव में कमी आई है।

हिन्दू हमें बनना पड़ेगा, नहीं तो हम भविष्य में टिक नहीं पाएंगे
डॉ भागवत ने कहा कि भारत को यदि भारत रहना है तो उसके 'स्व' का अबलंबन करना पड़ेगा। हिन्दू होना ही उसका स्व है। हिन्दू रहना है तो भारत को एकात्म और अखंड बनना ही पड़ेगा। उन्होंने कहा कि भारत को प्रकृति ने पृथक से बनाया है और हिन्दू समाज मनुष्यों के लिए ही बनाया हुआ है। मनुष्यों का ध्यान रखना आवश्यक है। यह भाव भारत और हिंदुत्व में ही समाहित है। यह सच्चाई है कि भारत नहीं रहेगा तो हम भी नही रहेंगे। हमारा अस्तित्व ही स्व के कारण है। नाम के हिन्दू रहने का कोई अर्थ नहीं। अध्यात्म के आधार पर एकांत में साधना लोकांत में परोपकार, शक्ति के आधार पर सर्वत्र सुरक्षित रहना एवं किसी को हानि नहीं पहुंचाना, ऐसा जीवन यापन करना ही हिंदुत्व का मूल मंत्र है और ऐसा ही हिन्दू हमें बनना पड़ेगा, नहीं तो हम भविष्य में टिक नहीं पाएंगे। यह भी स्वाभाविक है कि हम दूसरा कुछ नहीं बन सकते हैं। हम जो हैं वैसे ही उन्नत होंगे उन्नत होने के लिए हिन्दू को हिन्दू भाव से ही चलना पड़ेगा। हिंदू भाव से चलना है तो भारत की एकात्मता और अखंडता को सुरक्षित रखना ही पड़ेगा। इसलिए हम स्वदेश कहते हैं और हमें स्व एवं देश दोनों का ध्यान रखना चाहिये। अंग्रेजों ने यह बात समझ ली थी और षड्यंत्र पूर्वक उन्होंने भारत को उसके स्व से अलग किया। उन्होंने हमें अपने ही बंधुओं (जनजतियों)से अलग कर दिया।

बिना स्वार्थ के संबंध बनाये जा सकते हैं ऐसा दर्शन केवल भारत में है
राष्ट्रवादी पत्रकारिता ने यह षडयंत्र समझ लिया और भारत के स्व को पुनर्स्थापित करने के लिए प्रयास किया है। स्व जागरण के कारण ही आज विश्व में भारत की प्रतिष्ठा बढ़ी है। आज दुनिया भारत से निकलने वाले नए रास्ते की तरफ देख रही है। डॉ मोहन भागवत जी ने कहा है कि दुनिया को आपस में जोड़ने के लिए स्वार्थ के स्थान पर अपनत्व और बंधुत्व की दृष्टि सिर्फ भारत की भूमि और हिंदुत्व की जीवन दृष्टि में ही समाहित है। डॉ भागवत ने कहा कि आज जिन विषयों को बोलचाल में हिंदुत्व कहा जाता है उससे जुड़ी सभी बातों का विकास भारत भूमि पर ही हुआ है और यह महज संयोग से नहीं है। यह एक वैशिष्ट्य है जो पूरी दुनिया को भारत में विशिष्ट स्थान देता है। उन्होंने इजरायल का उदाहरण देकर समझया। उन्होंने कहा कि हमारा धर्म कहता है कि अपने पराए की बात उचित नहीं, मन को विशाल करो और सभी को अपना मानो। दुनिया को कुटम्ब बनाने वाली बात को लोग सिर्फ भारत से जोड़कर देखते हैं। अन्य किसी देश में यह संभव नहीं। आज  विज्ञान ने पूरी दुनिया को जोड़ दिया है वे कहते हैं हमें दुनिया को ग्लोबल मार्केट बनाना है क्योंकि वहां सबंधों की परम्परा ही नहीं है। बिना स्वार्थ के संबंध बनाये जा सकते हैं ऐसा दर्शन केवल भारत में है। अपनत्व के आधार पर सबंधों की कल्पना और जीवन सिर्फ भारत में ही है। पश्चिमी जगत ज्यादा से ज्यादा उपभोग की वकालत करती है, जबकि हमारा भारत सहअस्तित्व की बात करता है। स्वदेश ग्वालियर समूह के स्वर्ण जयंती समारोह को मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने भी संबोधित किया। समारोह में मध्यक्षेत्र के कार्यवाह अशोक सोहनी भी उपस्थित रहे। समूह संपादक अतुल तारे ने स्वदेश की 50 साल की यात्रा और संघर्ष का व्रत प्रस्तुत किया।

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