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प्रशांत क्षेत्र में चीन के चंगुल में आया किरिबाती, नौसेना अड्डा बनाएगा ड्रैगन

by WEB DESK
Nov 26, 2021, 05:13 pm IST
in विश्व
किरिबाती के राष्ट्रपति टानेटी मामाउ चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिन के साथ (फाइल चित्र)

किरिबाती के राष्ट्रपति टानेटी मामाउ चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिन के साथ (फाइल चित्र)

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किरिबाती से आए समाचार चीन के रवैए को लेकर चिंता पैदा करने वाले हैं। यहां इस देश ने अपने सुरक्षित समुद्री इलाकों को चीन के लिए खुला छोड़ने की घोषणा की है  

चीन समुद्री इलाकों में अपनी नौसेना का पुख्ता करने के नए नए पैंतरे आजमा रहा है। विशेष रूप से प्रशांत क्षेत्र में वह छोटे छोटे द्वीपों को अपने प्रभाव में लेकर वहां विकास की आड़ में अपनी नौसेना के लिए नए अड्डे बनाने की योजना पर गुपचुप तरीके से काम कर रहा है। हाल ही में एक छोटे से द्वीप देश किरिबाती से उसके इस मंसूबे का पर्दाफाश हुआ है। यहां चालाक चीन के लिए किरिबाती ने समुद्री इलाकों को खोल दिया है। 

प्रशांत क्षेत्र में एक छोटे से द्वीप देश किरिबाती से आए समाचार चीन के रवैए को लेकर चिंता पैदा करने वाले हैं। यहां इस देश ने अपने सुरक्षित समुद्री इलाकों को चीन के लिए खुला छोड़ने की घोषणा की है। चीन इन इलाकों को व्यावसायिक रूप से मछली पकड़ने के लिए करेगा और साथ ही अपनी नौसेना का अड्डा बनाएगा। 

एएनआइ की रिपोर्ट है कि आर्थिक तथा सागरीय सैन्य क्षमता को और बढ़ाने की कोशिश करते हुए विस्तारवादी चीन ने प्रशांत के द्वीपीय देशों को अपने प्रभाव में लेना शुरू किया है। रिपोर्ट बताती है कि ऐसे ही एक छोटे से द्वीपीय देश किरिबाती चीन के लिए अपने सबसे सुरक्षित समुद्री क्षेत्र खोलने जा रहा है। बताया जाता है कि चीन यहां कारोबारी मछली तो पकड़ेगा ही, यहां वह अपनी नौसेना का अड्डा भी विकसित करके इस इलाके में अपनी उपस्थिति मजबूत बनाएगा। 

उधर सिंगापुर पोस्ट में समाचार है कि किरिबाती के राष्ट्रपति टानेटी मामाउ अपने सुरक्षित समुद्री इलाके को चीन के लिए खोलने का फैसला कर चुके हैं। बताया गया है कि इस फैसले से किरिबाती को 20 करोड़ डालर की आय होने की उम्मीद है। रिपोर्ट आगे बताती है कि चीन, प्रशांत क्षेत्र में छोटे द्वीपों पर बसे देशों का एक बड़ा कूटनीतिक एवं आर्थिक साझेदार बन कर उभर रहा है। 

 

बताया गया है कि इस फैसले से किरिबाती को 20 करोड़ डालर की आय होने की उम्मीद है। रिपोर्ट आगे बताती है कि चीन, प्रशांत क्षेत्र में छोटे द्वीपों पर बसे देशों का एक बड़ा कूटनीतिक एवं आर्थिक साझेदार बन कर उभर रहा है। 

 

उल्लेखनीय है कि कुछ दिन पहले एक रिपोर्ट प्रकाशित हुई थी जिसमें खुलासा किया गया था कि चीन छोटे अफ्रीकी देशों को कर्जे बांटकर अपना प्रभाव क्षेत्र बढ़ाने में जुटा है। चीन का बढ़ता बाजार अमेरिका को चुनौती दे रहा है तो उसकी सेना का बढ़ता व्याप पूरी दुनिया के लिए एक खतरनाक संकेत दे रहा है। 

लेकिन इस बीच एक अच्छी खबर यह है कि आस्ट्रेलिया से दो हजार किलोमीटर दूर बसे वानुअतु देश ने चीन को सैन्य अड्डे स्थापित करने की अनुमति देने से साफ इंकार किया है। वानुअतु में सैंटो द्वीप पर चीन मछली पकड़ने तथा सैन्य अड्डे के उपयोग के लिए वहां के बंदरगाह का विकास करना चाह रहा था, जिसका आस्ट्रेलिया और अमेरिका ने दमदार विरोध किया था।

इतना ही नहीं, आस्ट्रेलिया के थिंकटैंक 'एशिया एंड द पैसिफिक पॉलिसी सोसाइटी' के अनुसार, 2006 से 2019 के मध्य चीन की सेना के प्रतिनिधियों ने प्रशांत के अनेक द्वीपीय देशों के 24 दौरे किए हैं। इन हालात में अमेरिका की अगुआई वाले 'क्वाड' समूह त​था 'एयूकेयूएस' जैसे संगठनों के लिए प्रशांत इलाके में चीन की साजिशी हरकतों पर पैनी नजर रखने की जरूरत है। 

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