पश्चिम यूपी में भारतीय किसान यूनियन के राकेश टिकैत और लोकदल के जयंत चौधरी की राजनीति देख राजनीतिक और सामाजिक समीक्षक ये अनुमान लगा रहे थे कि किसान आंदोलन के बहाने मुस्लिम और जाट वोट फिर से एक जगह इकट्ठे होने की तैयारी में हैं। माना जा रहा था कि आंदोलन में आगे तो राकेश टिकैत थे लेकिन उनके पीछे का खेल जयंत चौधरी खेल रहे थे। जयंत चौधरी के साथ अखिलेश यादव राजनीतिक समझौता करने चले थे। दो दिन पहले उन्होंने मीडिया को इसकी जानकारी भी दे दी थी। उस समय तक अखिलेश यादव और जयंत चौधरी को ये गलत फहमी थी कि पीएम मोदी किसी भी सूरत में तीनों कृषि कानून वापस नहीं लेंगे और इसका फायदा वे विधानसभा चुनावों में लेंगे। राकेश टिकैत भी अपनी पिता स्व: महेंद्र टिकैत की बंजर हुई भारतीय किसान यूनियन की जमीन को दोबारा उपजाऊ बनाने में लगे थे। पीएम मोदी की घोषणा से वे भी सदमे में चले गए और कहने लगे कि अभी आंदोलन जारी रहेगा।
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