गत दिनों महाराष्ट्र के कई शहरों में दंगे हुए। दंगाइयों ने हिंदुओं के मकानों, दुकानों को जला दिया। कहा जा रहा है कि राज्य में सत्तारूढ़ गठबंधन के नेताओं ने ही दंगाइयों को भड़काया। यानी सत्ता के लिए घर के चिरागों ने लगाई आग
इन दिनों महाराष्ट्र में ऐसी चर्चा जोरों पर है कि सत्ताधारी गठबंधन (शिवसेना, राकांपा और कांग्रेस) के नेताओं ने ही दंगे भड़काए। सच में यदि इन दलों के नेताओं की हरकतों को देखें तो इस चर्चा में दम नजर आएगा। जैसे ही राज्य सरकार पर भ्रष्टाचार के आरोप लगे, मादक पदार्थों की तस्करी और तस्करों के विरुद्ध केंद्रीय एजेंसियों की कार्रवाई शुरू हुई, इन दलों के नेताओं ने इसका विरोध शुरू कर दिया। इसलिए लोगों का मानना है कि इन चीजों से ध्यान भटकाने के लिए ही दंगे भड़काए गए और इसके लिए कुख्यात रजा अकादमी का सहारा लिया गया। भाजपा ने भी इन दंगों के लिए सत्तारूढ़ गठबंधन को जिम्मेदार ठहराया है।
उल्लेखनीय है कि इन दिनों नारकोटिक्स ब्यूरो द्वारा बॉलीवुड, राजनेता और तस्करों के गठबंधन का पर्दाफाश किया जा रहा है। दूसरी ओर प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) तथा आयकर विभाग द्वारा बड़ी मात्रा में छापेमारी चल रही है। इसमें अब तक केवल पवार परिवार से ही 1,200 करोड़ रु. की गैरकानूनी संपत्ति जब्त की गई है। राज्य के पूर्व गृह मंत्री अनिल देशमुख 1,500 करोड़ रु. की वसूली मामले में सीबीआई की हिरासत में हैं। मुंबई के पूर्व पुलिस आयुक्त परमवीर सिंह गायब हैं। ऐसे अन्य अनेक मामले चल रहे हैं। इसलिए लोग कह रहे हैं कि सत्तारूढ़ दल के नेताओं ने इन चीजों से जनता का ध्यान हटाने के लिए दंगे भड़काए। इसके लिए त्रिपुरा की एक फर्जी घटना को बहाना बनाया गया। जिहादियों ने कई शहरों में जमकर तोड़फोड़ और आगजनी की और लूटपाट मचाई। पुलिस पर भी हमले किए गए।
रजा अकादमी और कुछ अन्य मुस्लिम संगठनों से जुड़े जिहादियों ने 12 नवंबर को महाराष्ट्र के कई शहरों में जमकर उत्पात मचाया। अमरावती, नांदेड़ तथा मालेगांव में तोड़फोड़ और आगजनी की गई। मालेगांव, अमरावती, नाशिक तथा वासिम में पुलिस पर भी हमले हुए। मालेगांव पुलिस ने आत्मरक्षा में आंसूगैस के गोले छोड़े, जबकि अमरावती तथा नांदेड़ में पुलिस दंगाइयों के सामने मूकदर्शक बनी रही। अमरावती स्थित चित्रा चौक से मेन रोड के लगभग ढाई किलोमीटर के क्षेत्र में 40,000 से अधिक दंगाइयों ने हिंदुओं की दुकानों, मकानों और अन्य संपत्ति को निशाना बनाया। भाजपा के प्रदेश प्रवक्ता शिवराय कुलकर्णी ने आरोप लगाया है कि पुलिस पूरी तरह मूकदर्शक बनी रही।
पूर्व मुख्यमंत्री, वर्तमान में सार्वजनिक निर्माण मंत्री और कांग्रेस नेता अशोक चव्हाण के शहर नांदेड़ में भी दंगाइयों ने जमकर तोड़फोड़ की। स्थानीय पत्रकारों की मानें तो इन दंगों में अशोक चव्हाण के समर्थक कई मुस्लिम भी आगजनी करते देखे गए। नांदेड़ के देगलूर नाका, लेबर कॉलोनी, कला मंदिर परिसर, डॉक्टर लेन और शिवाजी नगर में दंगाइयों ने जमकर उत्पात मचाया। इतना होने के बाद भी 12 नवंबर की देर रात तक कोई एफआईआर दर्ज नहीं की गई थी। जब हिंदू समाज ने पुलिस पर दबाव डाला तब कुछ जगहों पर एफआईआर दर्ज की गई। दंगों के विरोध में 13 नवंबर को अमरावती में हिंदुओं ने बंद का आह्वान किया। बंद पूरी तरह सफल रहा। बंद को भाजपा और कुछ अन्य विपक्षी दलों का समर्थन मिला।
अब कुछ ऐसे वीडियो बाहर आए हैं, जिनमें दिख रहा है कि सत्ताधारी शिवसेना तथा एनसीपी के नेता दंगाइयों को उकसा रहे हैं। ऐसे कई नेताओं के विरुद्ध एफआरआर दर्ज हुई है। अब तक 100 से ज्यादा एफआईआर विभिन्न स्थानों पर दर्ज की गई है। साथ ही पुलिस ने 50 से ज्यादा लोगों को हिरासत में लिया है। लेकिन सेकुलर सरकार के इशारे पर ऐसे कुछ लोगों के विरुद्ध भी एफआईआर दर्ज हो रही है, जो आत्मरक्षा में दंगाइयों से उलझे।
मालेगांव में हुए दंगे के मामले में एनसीपी के पार्षद ऐयाज हुलचुल को पुलिस ने हिरासत में ले लिया है। हुलचुल पर भीड़ को दंगे के लिए उकसाने, दंगे में भीड़ का नेतृत्व करने, गैरकानूनी शस्त्र के उपयोग तथा अफवाहों के माध्यम से तनाव खड़ा करने के मामले दर्ज कराए गए हैं। भाजपा विधायक नीतेश राणे ने नांदेड़ में हुए दंगे के लिए शिवसेना नेता व पूर्व मंत्री अर्जुन खोतकर के विरुद्ध एफआईआर दर्ज कराई है। उन्होंने कहा, ‘‘रजा अकादमी को शिवसेना और एनसीपी ने पाला-पोसा है। इन दंगों के लिए शिवसेना-एनसीपी को जवाब देना होगा। अर्जुन खोतकर तथा रजा अकादमी पर सरकार ने कार्रवाई नहीं की तो हम उनका विरोध करेंगे। हम हिंदुओं की रक्षा करना जानते हैं और हिंदुओं पर कोई आंच नहीं आने देंगे।’’
बता दें कि अर्जुन खोतकर रजा अकादमी के एक कार्यक्रम में मुस्लिम भीड़ को कुरान के अपमान का बदला लेने के लिए उकसाते हुए दिख रहे हैं। शिवसेना ने इस पर चुप्पी साध रखी है। इस वीडियो भाषण में अर्जुन खोतकर कहते हैं, ‘‘कुरान के अपमान का जमकर बदला लिया जाएगा… इन्शा अल्लाह, जो भी होगा, हम आपके साथ हैं।’’
पूर्व मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने कहा है, ‘‘यह जिहादियों द्वारा किया गया एक प्रयोग था, जिसे हर जगह फैलाए जाने की आशंका है। वोट बटोरने के लिए सत्तारूढ़ गठबंधन दंगाइयों का बचाव कर रहा है।’’ फडणवीस ने यह भी कहा, ‘‘अब हिंदू मार नहीं खाएगा, यह अमरावती के हिंदुओं ने दिखा दिया है।’’ भाजपा के इस तीखे तेवर के बाद पुलिस ने मालेगांव में रजा अकादमी के कार्यालय पर छापा मारा।
भाजपा नेता और पूर्व मंत्री अनिल बोंडे ने इन दंगों को लेकर शरद पवार और उनकी पार्टी को घेरा है। उन्होंने कहा है, ‘‘जब-जब एनसीपी सत्ता में रहती है तब-तब राज्य में दंगे होते हैं। पवार तथा उनकी पार्टी अब जिहादी दंगों की जिम्मेदारी से भाग नहीं सकते।’’ इसके साथ ही भाजपा ने दंगाइयों के विरुद्ध सख्त कार्रवाई करने और नुकसान की भारपाई दंगाइयों से वसूल करने की मांग की है।
रजा अकादमी का असली चेहरा
महाराष्ट्र के दंगों में रजा अकादमी की भूमिका सामने आई है। इसलिए लोग जानना चाहते हैं कि आखिर यह है क्या। मुंबई के आजाद मैदान में अमर ज्योति को तोड़ने की दोषी है रजा अकादमी। यह अकादमी मुस्लिम कट्टरपंथ को बौद्धिक मुखौटा देने का काम करती है। यही नहीं, कई दंगों में इसकी प्रत्यक्ष भागीदारी भी रही है। शिवसेना, एनसीपी तथा कांग्रेस के साथ रजा अकादमी के मधुर संबंध हैं। इस कारण उसके विरुद्ध कोई कार्रवाई नहीं होती। रजा अकादमी ने सीएए, एनआरसी से लेकर कोविड टीकाकरण तक का विरोध किया है। यही नहीं, यह अकादमी भारत-इज्राएल के बीच के संबंधों का भी पुरजोर विरोध करती है। इसने तस्लीमा नसरीन से लेकर सलमान रुश्दी तक के विरुद्ध फतवे जारी किए हैं। रजा अकादमी भाग्यनगर (हैदराबाद) के निजाम के सेनापति कासिम रिजवी द्वारा बनाए गए तत्कालीन आतंकी संगठन रजाकार के पदचिन्हों पर चलती आई है। कहने को तो रजा अकादमी बरेली के इमाम अहमद रजा खान की पुस्तकों का प्रकाशन करती है, लेकिन पिछले कुछ वर्षों की इसकी गतिविधियां बताती हैं कि यह संस्था कट्टरवादियों की कठपुतली है। 1978 में मुंबई में पंजीकृत रजा अकादमी के संस्थापक अध्यक्ष महमूद सईद नूरी हैं।
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