बिजनौर जिले में इस साल सरकारी प्राइमरी स्कूलों में औसत से कहीं ज्यादा नए बच्चों ने प्रवेश लिया है। जानकारी के मुताबिक 25 हजार से ज्यादा बच्चों ने कॉन्वेंट/ पब्लिक स्कूलों को छोड़कर सरकारी स्कूलों में प्रवेश लिया है। इसकी बड़ी वजह कोरोना संकट है।
कोरोना संकट के दौरान पिछले दो सालों में लोगों को आर्थिक संकट का सामना करना पड़ा है। बच्चों के स्कूल तो बंद रहे, लेकिन ऑनलाइन क्लासेस की फीस के नाम पर स्कूलों ने मोटी रकम वसूली। शायद यही वजह है कि अभिभावकों का प्राइवेट स्कूलों से मोहभंग होता गया और ज्यादातर लोगों ने महंगी स्कूल फीस से बचने के लिए बच्चों का सरकारी स्कूलों में एडमिशन करवा दिया।
छोटी कक्षाओं के लिए टीसी की कोई आवश्यकता नहीं होती, लिहाज़ा बच्चों को सरकारी स्कूलों में आसानी से प्रवेश मिल रहा है। साथ ही सरकारी स्कूल में बच्चों को ड्रेस, जूते, कॉपी-किताब और दोपहर का भोजन भी मुफ्त दिया जाता है। महंगी स्कूलों की तरह बच्चों को सरकारी स्कूलों में भी ऑनलाइन क्लासेस मिल रही हैं। इन्हीं सुविधाओं को देखते हुए सरकारी स्कूलों में प्रवेश की बाढ़ सी आ गई। खण्ड शिक्षा अधिकारी अजय कुमार ने इसकी पुष्टि करते हुए कहा कि पिछले सालों में औसतन जिले में पांच हजार बच्चे ही प्रवेश लेते थे, जो इस बार करीब 27 हजार पहुंच गई है। कक्षा एक से 8वीं तक में बच्चों ने प्रवेश लिया है। इसकी बड़ी वजह कोविड को सकती है।
टिप्पणियाँ