दिल्ली दंगा : वकील की दलील-केवल मुसलमानों को टारगेट किया गया, कोर्ट ने कहा- दलील झूठी

Published by
WEB DESK
मामला 20 फरवरी 2020 को शिव विहार तिराहे पर आलोक तिवारी की हत्या से जुड़ा हुआ है। आलोक के शरीर पर जख्मों के 13 निशान थे

 

दिल्ली दंगों से जुड़े मामले में दी गई दलील पर कड़कड़डूमा कोर्ट ने वकील महमूद प्राचा की खिंचाई की। एडिशनल सेशंस जज वीरेंद्र भट्ट ने टिप्पणी करने के साथ ही आरोपी आरिफ की जमानत याचिका भी खारिज कर दी। प्राचा ने दलील में कहा था कि उत्तर-पूर्वी दिल्ली में हुए दंगों में केवल मुस्लिमों को ही टारगेट किया गया। 

कोर्ट ने आरोपी की जमानत याचिका खारिज करते हुए कहा कि जांच में कमियां हो सकती हैं, लेकिन पुलिस ने अपना काम ठीक से किया है। मामला 20 फरवरी 2020 को शिव विहार तिराहे पर आलोक तिवारी की हत्या से जुड़ा हुआ है। पोस्टमार्टम रिपोर्ट के मुताबिक आलोक तिवारी के शरीर पर जख्मों के 13 निशान थे। आरोपी आरिफ के खिलाफ दो और मामलों में जांच चल रही है।

सुनवाई के दौरान महमूद प्राचा ने कहा कि दिल्ली दंगे दरअसल दंगे थे ही नहीं। ये दंगे नागरिकता संशोधन कानून के खिलाफ चल रहे विरोध प्रदर्शनों को बदनाम करने के लिए कुछ राजनीतिक दलों की साजिश का नतीजा थे। उन्होंने कहा कि दंगों में केवल मुस्लिम समुदाय के लोगों को टारगेट किया गया था। आरोपी को भी पुलिस ने मुस्लिम होने के नाते टारगेट किया था।

कोर्ट ने कहा कि महमूद प्राचा की दलील समझ से परे है। महमूद प्राचा अपनी दलील के पक्ष में कोई तथ्य नहीं रख पाए हैं। कोर्ट ने कहा कि प्राचा अपनी दलीलों के जरिये पूरी दिल्ली पुलिस को सांप्रदायिक रंग से रंगना चाहते हैं। ये दलील झूठी है और इसे स्वीकार नहीं किया जा सकता है। कोर्ट ने कहा कि ऐसा लगता है कि पुलिस ने अपना काम ठीक से किया है। जांच में कुछ कमियां हो सकती हैं लेकिन ये कमियां इस ओर इशारा नहीं कर रही हैं कि जांच निष्पक्ष नहीं है या सांप्रदायिक नजरिये से की जा रही है।

Share
Leave a Comment